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    Saturday 18 March 2017

    बिना इंटरवल के रोमांच से भरपूर फिल्म हैं ट्रैप्‍ड - Film Review :Trapped

    लीक से हटकर सिनेमा का प्रतिनिधित्व फैंटम फिल्म्स की  ट्रैप्ड करती है. ट्रैप्ड यानि फंसा हुआ फिल्म अपने नाम से अपने विषय को जाहिर कर देती हैं. हॉलीवुड में इस विषय पर अब तक कई फिल्में बन चुकी हैं. बॉलीवुड के लिए यह विषय नया है. इसे बॉलीवुड की पहली सर्वाइवल थ्रिलर फिल्म कहा जा रहा है. फिल्म की कहानी की बात करें तो यह शौर्य (राजकुमार राव) की कहानी है. जो एक खाली पड़ी बिल्डिंग के 35 वें माले की एक फ्लैट में फंस जाता है. जहां न तो खाने को कुछ है न पीने को बिजली भी नहीं है. उस घर की बड़ी सी खिड़की से वो सबको देख सकता है लेकिन कोई उसको नहीं देख सकता. उसकी चीख पुकार को नहीं सुन सकता है. जिसके बाद शुरू होती है उस अपार्टमेंट से निकलने की जद्दोजहद. भूख प्यास से जूझने के लिए किसी भी हद तक जाने वाली ये कहानी कई बार रोंगटे खड़ी कर देती है. फिल्म में इंसानी इमोशन को हर सीन के साथ बखूबी लाया गया है.

    फिल्म सर्वाइवल ऑफ फिटेस्ट की थ्योरी को भी कई दृश्यों के साथ पुख्ता करता है. शौर्य के चूहे पर अपने डर पर जीत हासिल करने वाला सीन अच्छा बन पड़ा है. यह फिल्म यह बात भी बहुत खूबसूरती से सामने लाती है, इंसान सामाजिक प्राणी है. उसे भीड़ से परेशानी है लेकिन वह भीड़ के बिना अकेला रह भी नहीं सकता है. चूहे से संवाद वाला दृश्य हो या शौर्य के किरदार का यह सोचना की वह उस अपार्टमेंट से निकलकर मुंबई की लोकल ट्रेन और बस में लोगों की भीड़ के साथ सफर करेगा. इस सोच को सशक्त तरीके से सामने लेकर आता है. पूरी फिल्म में राजकुमार राव ही नजर आ रहे हैं. एक फ्लैट और गिनेचुने संवाद, ऐसे में दर्शक को फिल्म से जोड़े रखना आसान नहीं था मगर विक्रमादित्य के नरेशन की तारीफ करनी होगी कि फिल्म आपको बांधे रखती हैं. हां फिल्म की स्क्रिप्ट में कुछ खामियां भी हैं. फिल्म देखते हुए जब आप शौर्य के किरदार के साथ उसे बाहर निकालने की तरकीबें लगाते हैं तो आपके दिमाग में यह बात आती है कि शौर्य ने कपड़ों और फर्नीचर को आग लगाया वैसे ही दरवाजे को क्यों नहीं लगाया.

    अभिनय की बात करें तो अभिनेता राजकुमार राव ने एक बार फिर अभिनेता के तौर पर अपने रेंज को साबित किया है. परदे पर सीन दर सीन उन्होंने जीत, खुशी, हार, डर, तड़प, झुंझलाहट, गुस्सा मानव मन के सभी भाव को सामने लेकर आते हैं. इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है. यह फिल्म उनके अभिनय की वजह से और खास बन जाती है. गीतांजलि थापा के हिस्से में गिने चुने दृश्य आये हैं लेकिन वह अपने सहज अभिनय से याद रहती हैं. फिल्म की सिनेमाटोग्राफी और बैकग्राउंड म्यूजिक भी फिल्म के साथ बखूबी न्याय करता है. संवाद अच्छे बन पड़े हैं. कई बार वह फिल्म के मूड को हल्का करने में कामयाब रहे हैं.  कुल मिलाकर यह फिल्म इस बात का उदाहरण है कि सीमित बजट और कलाकारों के साथ एक अच्छी फिल्म बनायी जा सकती है. फिल्म में इंटरवल नहीं है, जिस वजह से फिल्म का रोमांच लगातार बना रहता है. 
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    Item Reviewed: बिना इंटरवल के रोमांच से भरपूर फिल्म हैं ट्रैप्‍ड - Film Review :Trapped Rating: 5 Reviewed By: Sonali
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