यूपी चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत से न केवल देश के विपक्षी दल चिंतित हैं बल्कि चीन में भी इसे लेकर चिंता साफ देखी जा रही है. इस जीत से मोदी की बढ़ी ताकत से चीनी मीडिया भी चिंतित है. चीनी मीडिया ने चेताया है कि इससे चीन और भारत के संबंधों में भारत का रुख और सख्त होगा. इस जीत से मोदी की हार्डलाइनर छवि और मजबूत होगी तथा चीन जैसे देशों के साथ समझौता नहीं करने की नीति को मजबूती मिलेगी.
मोदी को 'मैन ऑफ एक्शन' और 'हाईलाइन एटीट्यूड' वाला बताया गया है. मीडिया ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत की घरेलू और विदेश नीति में तेजी से बदलाव आए हैं. भारत की पुरानी रक्षात्मक नीति बदली है और अब पहले से ज्यादा आक्रामक रुख के साथ भारत वैश्विक मंचों पर खड़ा हुआ है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपी की जीत से 2019 के चुनाव में मोदी की जीत की संभावना प्रबल हुई है और मोदी सरकार को दूसरा कार्यकाल मिल सकता है. चीन में रणनीतिक मामलों के जानकार इस बात पर नजर रखे हुए हैं कि मोदी के मजबूत होने से भारत और चीन के संवेदनशील रिश्तों पर क्या असर होगा? गौरतलब है कि हाल के दिनों में सीमा मसलों को लेकर दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ी है.
मोदी की मजबूती से सीमा मसलों पर किसी भी प्रकार की समझौता करने की भारत की ओर से संभावनाएं कम होंगीं. देश के सबसे बड़े त्योहार दीवाली पर मोदी ने चीन बॉर्डर को तवज्जों दी और सैनिकों के बीच त्योहार मनाकर भारत की बॉर्डर नीति में सख्ती का संदेश दिया.
नोटबंदी जैसे बड़े और बोल्ड फैसलों और वैश्विक मंच पर मोदी की प्रखर आवाज ने एक नए भारत को दुनिया के सामने रखा है. विदेश नीति के मामले में मोदी की अगुवाई में भारत ने पहले की रक्षात्मक नीति को किनारे किया है. और दूसरे देशों के मामलों में अपने हित को प्राथमिकता देते हुए बोल्ड फैसले लिए हैं.
जहां भारत ने इस दौरान शंघाई सहयोग संगठन में चीन और रूस के साथ संबंध सुधारे हैं वहीं अमेरिका, जापान जैसे देशों के साथ रक्षा संबंधों में भी सुधार किए हैं. चीन सागर के मामले में भी भारत के बोल्ड बयानों को लेकर चीन में चिंता साफ देखी जा रही है.
इस लेख में कहा गया है कि अगर मोदी अगला चुनाव भी जीत जाते हैं तो भारत की ये बोल्ड पॉलिसी जारी रह सकती है. बिना किसी शक के इससे भारत के विकास में मदद मिलेगी.
मोदी को 'मैन ऑफ एक्शन' और 'हाईलाइन एटीट्यूड' वाला बताया गया है. मीडिया ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत की घरेलू और विदेश नीति में तेजी से बदलाव आए हैं. भारत की पुरानी रक्षात्मक नीति बदली है और अब पहले से ज्यादा आक्रामक रुख के साथ भारत वैश्विक मंचों पर खड़ा हुआ है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपी की जीत से 2019 के चुनाव में मोदी की जीत की संभावना प्रबल हुई है और मोदी सरकार को दूसरा कार्यकाल मिल सकता है. चीन में रणनीतिक मामलों के जानकार इस बात पर नजर रखे हुए हैं कि मोदी के मजबूत होने से भारत और चीन के संवेदनशील रिश्तों पर क्या असर होगा? गौरतलब है कि हाल के दिनों में सीमा मसलों को लेकर दोनों देशों के बीच तल्खी बढ़ी है.
मोदी की मजबूती से सीमा मसलों पर किसी भी प्रकार की समझौता करने की भारत की ओर से संभावनाएं कम होंगीं. देश के सबसे बड़े त्योहार दीवाली पर मोदी ने चीन बॉर्डर को तवज्जों दी और सैनिकों के बीच त्योहार मनाकर भारत की बॉर्डर नीति में सख्ती का संदेश दिया.
नोटबंदी जैसे बड़े और बोल्ड फैसलों और वैश्विक मंच पर मोदी की प्रखर आवाज ने एक नए भारत को दुनिया के सामने रखा है. विदेश नीति के मामले में मोदी की अगुवाई में भारत ने पहले की रक्षात्मक नीति को किनारे किया है. और दूसरे देशों के मामलों में अपने हित को प्राथमिकता देते हुए बोल्ड फैसले लिए हैं.
जहां भारत ने इस दौरान शंघाई सहयोग संगठन में चीन और रूस के साथ संबंध सुधारे हैं वहीं अमेरिका, जापान जैसे देशों के साथ रक्षा संबंधों में भी सुधार किए हैं. चीन सागर के मामले में भी भारत के बोल्ड बयानों को लेकर चीन में चिंता साफ देखी जा रही है.
इस लेख में कहा गया है कि अगर मोदी अगला चुनाव भी जीत जाते हैं तो भारत की ये बोल्ड पॉलिसी जारी रह सकती है. बिना किसी शक के इससे भारत के विकास में मदद मिलेगी.
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