दिल्ली से कैबिनेट सचिव कई बार यूपी के मुख्य सचिव को फोन कर चुके हैं. दोनों के बीच सूबे के बारे में पीएम मोदी के चुनावी एजेंडे पर सबसे पहले काम करने पर चर्चा हुई है. इसके बाद से राज्य के पूरे सरकारी महकमे और आईएएस अधिकारियों में हड़कंप मचा है. मुख्य सचिव के दफ्तर से सभी विभागों के प्रमुख सचिवों को भी फोन गया. साथ में बीजेपी का घोषणापत्र भी पहुंचाया गया है. इससे साफ है कि प्राथमिकता के साथ चुनावी घोषणा पत्र के मुताबिक काम जल्द से जल्द निबटाने होंगे.
यूपी मे सरकार बनाने के बाद भाजपा सरकार कैबिनेट की पहली मीटिंग में बड़े फैसले ले सकती है. जोरदार जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ख़ुद कह चुके हैं कि उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाना है. यूपी में जीत का सेहरा नरेंद्र मोदी के सिर पर ही बंधा है. इसीलिए भले ही बीजेपी ने अभी तक सीएम का नाम तय नहीं किया है, लेकिन पार्टी की नीतियों पर सरकारी तंत्र काम करना शुरू कर दिया है. बताया जा रहा है कि दिल्ली से कैबिनेट सचिव का फोन यूपी के मुख्य सचिव को कई बार जा चुका है. इस बातचीत मे कहा गया है कि राज्य के बारे मे पीएम मोदी के चुनावी एजेंडे पर सबसे पहले काम किया जायेगा.
बीजेपी के नेता अपने घोषणा पत्र को लोककल्याण संकल्प पत्र कहते हैं. 24 पन्नों का पार्टी का मैनिफेस्टो अब कई सीनियर आईएएस अधिकारियों के टेबल पर है. सभी इसमें अपना दिमाग खपा रहे हैं. सभी से तीन महीने के लिए एजेंडा तैयार करने को कहा गया है. यूपी में बीजेपी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक कब होगी, ये तो नए मुख्यमंत्री ही बताएंगे, लेकिन उस मीटिंग में क्या फैसले हो सकते है, इसकी एक्सक्लुसिव जानकारी हमें मिली है.
चुनावो के पहले ही किसानों की कर्जमाफी का वादा करके मोदी ने उत्तर प्रदेश में प्रचार शुरू किया था. लिहाज़ा ये मु्द्दा सरकार के लिये बेहद अहम है. मोदी के इसी वादे पर कैबिनेट की पहली मीटिंग में मुहर लगाने की तैयारी है. बीजेपी के घोषणापत्र में सबसे ऊपर लिखा है - सभी लघु और सीमांत किसानों का फसली ऋण माफ़ होगा. एक हेक्टेयर से कम खेत वाला सीमांत और एक से दो हेक्टेयर जमीन पर खेती करने वाले लघु किसान कहलाते हैं.
आँकड़ो के मुताबिक यूपी में किसानों पर 92 हजार 121 करोड़ रुपये बकाया है. ये पिछले साल के बजट का एक चौथाई है. यूपी में 2.33 करोड़ किसान है, जिनमें से 92 फीसदी तो लघु और सीमांत किसान है. सूत्रों की माने तो किसानों की कर्ज माफी पर नई सरकार को 85 हजार करोड़ रुपये की चपत लगेगी.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी हर चुनावी रैली में अवैध कत्लखाने बंद करवाने का वादा किया है. उत्तर प्रदेश में 316 बूचड़खाने हैं. सूत्रो के मुताबिक़ पहली कैबिनेट मीटिंग में अवैध कत्लखाने बंद करने पर भी फैसला हो सकता है.
यूपी में पहले से ही महिला हेल्पलाइन काम कर रही है, जहां प्रदेश भर की महिलाएं शिकायत दर्ज करा सकती हैं. ये तो वो फैसले हैं, जिसे ताबड़तोड़ सरकार ले सकती है. लेकिन अहम बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी जिस विकास की छवि के साथ केंद्र में सरकार चला रहे हैं, उसकी झलक यूपी में भी दिखानी पड़ेगी.
उत्तर प्रदेश की आबादी 22 करोड़ है यानी देश की आबादी की 16 फीसदी, लेकिन जीडीपी में हिस्सा सिर्फ 12 फीसदी है. प्रति व्यक्ति आय में यूपी 31वें नंबर पर हैं. यूपी में 30 फीसदी गरीब हैं , जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ये आंकड़ा 22 फीसदी है. जानकारों के मुताबिक अगर यूपी में विकास होता है, तो देश की विकास दर एक फीसदी बढ़ जाएगी. लिहाजा मोदी सरकार को उत्तर प्रदेश को विशेष महत्व देना होगा.
देश की मौजूदा विकास दर सात फीसदी है. अगर यूपी में विकास पर ध्यान दिया गया, तो विकास दर पर फ़ौरन असर दिखेगा. सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी 2019 को ध्यान में रखकर यूपी की तस्वीर बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. यही वजह है कि चेहरा तय होने से पहले ही प्रदेश की सूरत बदलने पर जोरशोर से काम शुरू कर दिया गया है, ताकि यूपी के रास्ते 2019 के चुनाव मे केंद्र की सत्ता पर एक बार फिर से कब्जा किया जा सके.
यूपी मे सरकार बनाने के बाद भाजपा सरकार कैबिनेट की पहली मीटिंग में बड़े फैसले ले सकती है. जोरदार जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ख़ुद कह चुके हैं कि उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाना है. यूपी में जीत का सेहरा नरेंद्र मोदी के सिर पर ही बंधा है. इसीलिए भले ही बीजेपी ने अभी तक सीएम का नाम तय नहीं किया है, लेकिन पार्टी की नीतियों पर सरकारी तंत्र काम करना शुरू कर दिया है. बताया जा रहा है कि दिल्ली से कैबिनेट सचिव का फोन यूपी के मुख्य सचिव को कई बार जा चुका है. इस बातचीत मे कहा गया है कि राज्य के बारे मे पीएम मोदी के चुनावी एजेंडे पर सबसे पहले काम किया जायेगा.
बीजेपी के नेता अपने घोषणा पत्र को लोककल्याण संकल्प पत्र कहते हैं. 24 पन्नों का पार्टी का मैनिफेस्टो अब कई सीनियर आईएएस अधिकारियों के टेबल पर है. सभी इसमें अपना दिमाग खपा रहे हैं. सभी से तीन महीने के लिए एजेंडा तैयार करने को कहा गया है. यूपी में बीजेपी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक कब होगी, ये तो नए मुख्यमंत्री ही बताएंगे, लेकिन उस मीटिंग में क्या फैसले हो सकते है, इसकी एक्सक्लुसिव जानकारी हमें मिली है.
चुनावो के पहले ही किसानों की कर्जमाफी का वादा करके मोदी ने उत्तर प्रदेश में प्रचार शुरू किया था. लिहाज़ा ये मु्द्दा सरकार के लिये बेहद अहम है. मोदी के इसी वादे पर कैबिनेट की पहली मीटिंग में मुहर लगाने की तैयारी है. बीजेपी के घोषणापत्र में सबसे ऊपर लिखा है - सभी लघु और सीमांत किसानों का फसली ऋण माफ़ होगा. एक हेक्टेयर से कम खेत वाला सीमांत और एक से दो हेक्टेयर जमीन पर खेती करने वाले लघु किसान कहलाते हैं.
आँकड़ो के मुताबिक यूपी में किसानों पर 92 हजार 121 करोड़ रुपये बकाया है. ये पिछले साल के बजट का एक चौथाई है. यूपी में 2.33 करोड़ किसान है, जिनमें से 92 फीसदी तो लघु और सीमांत किसान है. सूत्रों की माने तो किसानों की कर्ज माफी पर नई सरकार को 85 हजार करोड़ रुपये की चपत लगेगी.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी हर चुनावी रैली में अवैध कत्लखाने बंद करवाने का वादा किया है. उत्तर प्रदेश में 316 बूचड़खाने हैं. सूत्रो के मुताबिक़ पहली कैबिनेट मीटिंग में अवैध कत्लखाने बंद करने पर भी फैसला हो सकता है.
यूपी में पहले से ही महिला हेल्पलाइन काम कर रही है, जहां प्रदेश भर की महिलाएं शिकायत दर्ज करा सकती हैं. ये तो वो फैसले हैं, जिसे ताबड़तोड़ सरकार ले सकती है. लेकिन अहम बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी जिस विकास की छवि के साथ केंद्र में सरकार चला रहे हैं, उसकी झलक यूपी में भी दिखानी पड़ेगी.
उत्तर प्रदेश की आबादी 22 करोड़ है यानी देश की आबादी की 16 फीसदी, लेकिन जीडीपी में हिस्सा सिर्फ 12 फीसदी है. प्रति व्यक्ति आय में यूपी 31वें नंबर पर हैं. यूपी में 30 फीसदी गरीब हैं , जबकि राष्ट्रीय स्तर पर ये आंकड़ा 22 फीसदी है. जानकारों के मुताबिक अगर यूपी में विकास होता है, तो देश की विकास दर एक फीसदी बढ़ जाएगी. लिहाजा मोदी सरकार को उत्तर प्रदेश को विशेष महत्व देना होगा.
देश की मौजूदा विकास दर सात फीसदी है. अगर यूपी में विकास पर ध्यान दिया गया, तो विकास दर पर फ़ौरन असर दिखेगा. सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी 2019 को ध्यान में रखकर यूपी की तस्वीर बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. यही वजह है कि चेहरा तय होने से पहले ही प्रदेश की सूरत बदलने पर जोरशोर से काम शुरू कर दिया गया है, ताकि यूपी के रास्ते 2019 के चुनाव मे केंद्र की सत्ता पर एक बार फिर से कब्जा किया जा सके.
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