728x90 AdSpace

  • Latest News

    Friday 17 March 2017

    ...तो क्या लालबत्ती से वंचित रहेंगे यूपी के मुस्लिम लीडर - Muslim in UP Govt


    -भाजपा के 325 विधायकों में एक भी मुस्लिम चेहरा नहीं
    मौ.फारूख
    सहारनपुर। आजादी के 69 वर्ष बाद यूपी में भाजपा की सत्ता कायम होने पर पहली बार ऐसा मौका आया है। जिसमें देश के सबसे बड़े प्रदेश में भाजपा ने एक भी मुस्लिम नेता को टिकट नहीं दिया। परिणाम स्वरूप बहुमत से बनी भाजपा सरकार ने एक भी विधायक मुस्लिम नहीं है। जाहिर है ऐसे में आगामी पांच वर्षो में एक भी मुस्लिम लीडर को सत्ता में लालबत्ती नसीब नहीं होगी। ये एक ऐसा बदलाव है जिससे धर्म के आधार पर हुए चुनाव के बाद यूपी की सत्ता ऐतिहासिक बन गई है। 

    चुनाव से पूर्व भाजपा के राष्ट्रीयाध्यक्ष अमित शाह व यूपी के प्रदेशाध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने अन्य केंद्र व यूपी के नेताओं के साथ विचार-विमर्श कर पार्टी के सिम्बल पर प्रत्याशियों को टिकट दिए। टिकट वितरण के दौरान इतने बड़े प्रदेश में एक भी मुस्लिम को भाजपा का टिकट नहीं मिला। हालाकि एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान हिंदू कट्टरवादी योगी आदित्य नाथ ने इस पर बयान दिया था कि यदि कोई टिकट मांगता तो ये संभव था कि मुस्लिमों को भी टिकट दिया जाता। इस मुद्दे पर अन्य भाजपा नेताओं ने भी अनेक सवाल खड़े करते हुए मुस्लिमों को टिकट ना देने का विरोध भी जताया था। इसमें प्रमुख रूप से एक टीवी चैनल के हवाले से जारी खबर में उमा भारती व मुख्तार अब्बास नकवी ने भी मुस्लिमों को टिकट वितरित न करने पर मुस्लिमों के प्रति नम्र रूख अपनाते हुए अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की थी। यह दिखावा था या हकीकत ये तो प्रक्रिया जाहिर करने वाले ही जानते है। 

    भाजपा की मुस्लिमों के प्रति नीतियों व प्रदेश में मुस्लिम रहित 325 विधायकों के यूपी की सत्ता में पहुंचने पर एक तरह से उत्तर प्रदेश की नवनिर्वाचित सरकार से मुस्लिम पूरी तरह किनारे रहा। प्रदेश में मुस्लिम आबादी व नेताओं की संख्या कम नहीं है। ऐसे में भाजपा सरकार मुस्लिमों को सत्ता की धारा में साथ लाने के लिए कौन सा रास्ते अपनायेंगी ये तो भाजपा की आगामी रणनीतियां ही तय कर पायेगी। 

    आज की परिस्थिति ये है कि जिस तरह समाजवादी पार्टी व बहुजन समाज पार्टी की सरकारों में मुस्लिम विधायकों व मंत्रियों की संख्या उम्मीदों से ज्यादा रही, उससे साफ जाहिर है कि सपा व बसपा अपनी सरकारे काफी हद तक मुस्लिम मतदाताओं के सहारे चलाती रही है। मुस्लिमों को खुश रखने के लिए उन नेताओं को भी जो विधायक नहीं थे पूर्व की इन दो सरकारों ने किसी ना किसी आधार पर एमएलसी बना मंत्री तक के पद दिए। यदि ये भी संभव ना हुआ तो अपना मुस्लिम वोट बैंक बनाये रखने के लिए उन्हें प्रदेश के महत्वपूर्ण पद पर स्थान दिया। मुस्लिमों को साथ लिए बिना भाजपा को अपनी सरकार चलाने के लिए अनेक चुनौतियों का सामाना करना पड़ेगा। मुस्लिमों को सत्ता से अलग-थलग रखकर भी भाजपा सरकार का काम नहीं चलेगा? 
    वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए फिलहाल तो ऐसा ही प्रतित हो रहा है कि यूपी में किसी मुस्लिम लीडर को भाजपा सरकार के रहते शायद लालबत्ती नसीब ना हो पाये। जबकि 1991 में जिस समय राम मंदिर को लेकर प्रदेश में बेहद अराजकता व हिंदू-मुस्लिमों के बीच एक बड़ी दीवार खड़ी हो गई थी तब भी मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की भाजपा सरकार में ऐजाज रिजवी को मंत्री के ओहदे से नवाजा गया था। अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बात को कई बार दोहरा चुके है कि चुनाव में कोई नागरिक किसी भी पार्टी व प्रत्याशी को वोट दे तो ये उसकी अपनी पसंद होती है। केंद्र हो या प्रदेश जिसके हाथ में भी सत्ता आती है, उस सरकार व मुख्यमंत्री जिम्मेदारी बन जाती है कि वह सभी का ध्यान रखे और जाति-धर्म व भेदभाव से उठकर विकास की धारा में निष्पक्ष रूप से सबको शामिल करे। यूपी के चुनाव नतीजों के बाद भाजपा मुख्यालय पर आयोजित सम्मान समारोह में अपनी सोच को प्रमुखता से दोहराया था। अब आने वाले समय में ही भाजपा सरकार की हकीकत सामने आएगी कि वह मुस्लिमों के प्रति अपना क्या नजरिया रखती है।  
    • Blogger Comments
    • Facebook Comments

    0 comments:

    Post a Comment

    Item Reviewed: ...तो क्या लालबत्ती से वंचित रहेंगे यूपी के मुस्लिम लीडर - Muslim in UP Govt Rating: 5 Reviewed By: Sonali
    Scroll to Top