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    Tuesday 21 March 2017

    पिछले छह साल से लंबित राम मंदिर अपील पर रोज़ाना सुनवाई करे कोर्ट : सुब्रह्मण्यम स्वामी - Ram temple Controversy

    नई दिल्ली: कई दशक से चले आ रहे राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक बेहद अहम टिप्पणी करते हुए सुझाव दिया कि यह मुद्दा कोर्ट के बाहर बातचीत से हल किया जाना चाहिए. भारत के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने कहा कि दोनों पक्षों को मिल-बैठकर इस मुद्दे को बातचीत से हल करना चाहिए. दरअसल, बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कोर्ट से आग्रह किया था कि वह पिछले छह साल से लंबित राम मंदिर अपील पर रोज़ाना सुनवाई करे, और जल्द फैसला सुनाए. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि मामला धर्म और आस्था से जुड़ा हुआ है, इसलिए दोनों पक्ष आपस में बैठें और बातचीत के ज़रिये हल निकालने की कोशिश करें. बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने राम मंदिर मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत किया और कहा कि सभी संबंधित पक्षों को आम सहमति बनानी चाहिए.

    इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि सुब्रह्मण्यम स्वामी ने जानबूझकर कोर्ट को यह जानकारी नहीं दी कि इससे पहले भी छह बार इसी तरह की कोशिशें की जा चुकी हैं, जो राजीव गांधी, चंद्रशेखर और पीवी नरसिम्हा राव के प्रधानमंत्रित्व काल में की गई थीं. लेकिन अब पर्सनल लॉ बोर्ड यह फैसला कर चुका है कि वह किसी से भी बातचीत नही करेगा, और उसने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह इस मामले में रोज़ाना सुनवाई की जाए.

    उधर, ढांचा गिराए जाने वक्त कारसेवकों के साथ मौजूद रहीं और मामले में आरोपी रह चुकीं उमा भारती ने कहा है कि जहां रामलला हैं, वहां सोमनाथ जैसे भव्य मंदिर का निर्माण होगा. उन्होंने कोर्ट की सलाह का स्वागत करते हुए यह भी कहा कि उन्हें इस बात का भरोसा है कि मुस्लिम समाज सहयोग करेगा. सुप्रीम कोर्ट का अभिनंदन करते हुए केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि अब तो सिर्फ भूमि विवाद रह गया है. उन्होंने यह भी कहा कि अदालत में सुनवाई जारी है, इसलिए वह कुछ भी कहना नहीं चाहतीं.
    बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक ज़फ़रयाब जिलानी का भी कहना है कि पिछले 27 सालों में इस मुद्दे पर कई बार बातचीत हो चुकी है, लेकिन शीर्ष स्तर पर हुई तमाम बातचीत भी अब तक फ़ेल ही रही है, सो, अब अगर सुप्रीम कोर्ट के जज मध्यस्थता करें, तो ही हम भरोसा करेंगे.

    मुस्लिम धर्मगुरु राशिद फिरंगी महली ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को सही बताते हुए कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के कहे का सम्मान करते हैं, और पर्सनल लॉ बोर्ड भी राम मंदिर - बाबरी मस्जिद विवाद के अदालती हल का पक्षधर रहा है. एक अन्य मुस्लिम धर्मगुरु उमेर इलियासी ने कहा है कि यह मुद्दा बातचीत से सुलझ जाए, तो बेहतर है, और बातचीत से ऐसा हल निकाला जाना चाहिए, जो दोनों पक्षों के हक में हो.

    इस बीच, बीजेपी सांसद विनय कटियार ने कहा है कि कोर्ट के बयान का स्वागत करता हूं. उन्होंने कहा कि यह कोर्ट की टिप्पणी है, उनका फैसला नहीं है, लेकिन अब कोर्ट के कहने के बाद रास्ता ज़रूर निकलेगा. उन्होंने कहा कि हम सभी लोग मिलकर पहल करेंगे, और जब बातचीत शुरू होती है, तो रास्ते निकल ही आते हैं, इसलिए जिनसे ज़रूरी हो, उनसे बात होनी चाहिए.

    मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) महासचिव सीताराम येचुरी ने इस मुद्दे पर टिप्पणी में कहा कि मसला बातचीत से हल नहीं हो पाया, इसीलिए कोर्ट की शरण ली गई थी. उनके मुताबिक सवाल यह है कि ज़मीन की मिल्कियत किसकी है, और चूंकि यह कानूनी मामला है, सो, यह कोर्ट को ही तय करना है, और उसी के बाद बात आगे बढ़ सकेगी.

    इस बीच, कांग्रेस पार्टी का कहना है कि राम मंदिर का मुद्दा बीजेपी के लिए आस्था का नहीं, सियासी मामला है. कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने कहा है कि यह मुद्दा बीजेपी के लिए न तो आस्था का सवाल है, और न ही वह इस पर कोई अमल या हल चाहती है. बीजेपी के लिए यह मुद्दा पूरी तरह राजनैतिक मामला है. प्रमोद तिवारी ने कहा कि न्यायालय का जो भी फैसला हो, वह स्वीकार किया जाना चाहिए, या दोनों पक्षों को बातचीत के ज़रिये इस मुद्दे को सुलझाना चाहिए.

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक दत्तात्रेय होसबोले ने कहा है कि सभी भारतीयों की शिरकत से भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए. उनका कहना है कि यह फैसला धर्म संसद तथा उन सभी पक्षों को करना है, जो कोर्ट गए हैं.

    कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मुद्दे पर खुद पहल करनी चाहिए, क्योंकि योगी आदित्यनाथ किस रास्ते पर चले जाएंगे, यह हम सबके लिए चिंता का विषय है.

    केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत करते हुए कहा है कि हमारी पार्टी ने हमेशा कहा है कि राम मंदिर का मुद्दा संवैधानिक ढांचे के भीतर सहमति के माध्यम से ही हल होना चाहिए.
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