यूपी में बीजेपी की धमाकेदार जीत के बाद अब सबकी जुबां पर एक ही सवाल है कि प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन होगा? गृह मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा, लखनऊ मेयर दिनेश शर्मा के अलावा एक और चौंकाने वाले नाम भी सीएम पद की रेस में शामिल हुआ है. ये नाम है कानपुर से लगातार सातवीं बार विधायक बने सतीश महाना का. कहा यह जा रहा है कि प्रदेश चुनाव में धमाकेदार जीत के बाद रविवार को महाना को आनन -फानन में दिल्ली बुलाया गया और उनकी मुलाक़ात प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से कराई गई.
महाना पिछले सात बार से कानपुर से जीत दर्ज़ करते आ रहे हैं. बीजेपी को इस बार ब्राह्मण, ठाकुर और पिछड़ों का बंपर वोट मिला है. इसलिए पार्टी किसी वर्ग को नाराज नहीं करना चाहती है. अगर पिछड़े वर्ग से सीएम बनाया गया तो सवर्ण बिदक सकते हैं और अगर सवर्ण बनाया गया तो पिछड़े नाराज हो सकते हैं. ऐसे में जानकारों का मानना है कि महाना इसीलिए इस सांचे में फिट हो रहे हैं क्योंकि वो पंजाबी खत्री हैं और उनके आने से किसी जाति के लोगों को ऐतराज़ नहीं होगा.
खबरों के मुताबिक महाना आरएसएस में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ काम कर चुके हैं और यह बात उनके पक्ष में जा रही है. बीजेपी संसदीय दल की बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो लाइम लाइट में नहीं रहते, लेकिन काम अच्छा करते हैं. पीएम के इस बयान को महाना की कार्यशैली से जोड़कर देखा जा रहा है.
पार्टी सूत्रों की मानें तो भौगौलिक स्थिति के हिसाब से भी महाना सीएम बनने के लिए पार्टी की पहली पसंद हो सकते हैं. दरअसल महाना को सीएम बनाकर पार्टी मुलायम व अखिलेश के गढ़ इटावा, मैनपुरी, कन्नौज समेत कई और इलाके में सपा के गढ़ को मजबूती से चुनौती देना चाहती है.
कुछ बीजेपी से जुड़े लोगों का यह भी कहना है कि यूपी सरकार बनते ही मुख्यमंत्री को साल भर के अंदर कई योजनायों व कार्यों को सफ़ल बनाना है जिसके लिए उन्हें प्रदेश की अच्छी जानकारी रखने वाला तेज़तर्रार व साफ़ छवि का नेता चाहिए. इसलिए भाजपा महाना को सीएम पद की बड़ी ज़िम्मेदारी दे सकती है.
हालांकि कमोबेश इन्हीं वजहों से शाहजहांपुर से आठ बार जीते सुरेश खन्ना के नाम पर भी सहमति बन सकती है. वह भी पंजाबी खत्री समुदाय से आते हैं और सभी जाति-वर्गों को साधने की कोशिशों में भी उनके नाम पर भी मुहर लग सकती है.
महाना पिछले सात बार से कानपुर से जीत दर्ज़ करते आ रहे हैं. बीजेपी को इस बार ब्राह्मण, ठाकुर और पिछड़ों का बंपर वोट मिला है. इसलिए पार्टी किसी वर्ग को नाराज नहीं करना चाहती है. अगर पिछड़े वर्ग से सीएम बनाया गया तो सवर्ण बिदक सकते हैं और अगर सवर्ण बनाया गया तो पिछड़े नाराज हो सकते हैं. ऐसे में जानकारों का मानना है कि महाना इसीलिए इस सांचे में फिट हो रहे हैं क्योंकि वो पंजाबी खत्री हैं और उनके आने से किसी जाति के लोगों को ऐतराज़ नहीं होगा.
खबरों के मुताबिक महाना आरएसएस में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ काम कर चुके हैं और यह बात उनके पक्ष में जा रही है. बीजेपी संसदीय दल की बैठक के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो लाइम लाइट में नहीं रहते, लेकिन काम अच्छा करते हैं. पीएम के इस बयान को महाना की कार्यशैली से जोड़कर देखा जा रहा है.
पार्टी सूत्रों की मानें तो भौगौलिक स्थिति के हिसाब से भी महाना सीएम बनने के लिए पार्टी की पहली पसंद हो सकते हैं. दरअसल महाना को सीएम बनाकर पार्टी मुलायम व अखिलेश के गढ़ इटावा, मैनपुरी, कन्नौज समेत कई और इलाके में सपा के गढ़ को मजबूती से चुनौती देना चाहती है.
कुछ बीजेपी से जुड़े लोगों का यह भी कहना है कि यूपी सरकार बनते ही मुख्यमंत्री को साल भर के अंदर कई योजनायों व कार्यों को सफ़ल बनाना है जिसके लिए उन्हें प्रदेश की अच्छी जानकारी रखने वाला तेज़तर्रार व साफ़ छवि का नेता चाहिए. इसलिए भाजपा महाना को सीएम पद की बड़ी ज़िम्मेदारी दे सकती है.
हालांकि कमोबेश इन्हीं वजहों से शाहजहांपुर से आठ बार जीते सुरेश खन्ना के नाम पर भी सहमति बन सकती है. वह भी पंजाबी खत्री समुदाय से आते हैं और सभी जाति-वर्गों को साधने की कोशिशों में भी उनके नाम पर भी मुहर लग सकती है.
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