चेहरा नही, पिछली कार्यप्रणाली बने आधार
सहारनपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए कई चेहरे घूम रहे है। बदलाव कौन सा चेहरा कर पायेगा फिलहाल कुछ नही कहा जा सकता। प्रधानमंत्री ने जिस तरह पूरे देश की राजनीति को उथल-पुथल कर दिया। जो जनता कभी भाजपा से कोसों दूर थी वह अब इतने करीब आ गई कि विपक्षी दलों ने कभी ऐसा सोचा भी नही होगा। यूपी का पूरे देश में अलग स्थान है यहीं कारण है कि केंद्र की सत्ता की उठक पटक करने में उत्तर प्रदेश की हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका रही। यदि इस चुनाव के बाद यूपी में उम्मीदों से अधिक बदलाव नही आया तो हालात क्या होगें इसका अनुमान सहज लगाया जा सकता है।
जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कार्यप्रणाली व आश्वासनों से तहलका मचा दिया उससे भी बडा तहलका मचाने की उत्तर प्रदेश को आज के वक्त में बेहद जरूरत है। जनता सार्थक परिणाम चाहती है और यह तभी हो पायेगा जब यूपी का मुख्यमंत्री ऐसा बने जो गुंडाराज, भ्रष्टाचार व बाहुबलियों से प्राथमिकता के आधार पर जनता मुक्ति दिलाये। जो चेहरे मुख्यमंत्री की कुर्सी के ईर्दगिर्द घूम रहे है उनमें से एक भी ऐसा निकल गया जिसके करीबी वैसे ही हो जैसे की सपा और बसपा सरकार के आकाओं के रहे तो यूपी केहालात किसी भी सूरत में नही बदल पायेगें। राजनीति के उन पंडितो का मानना है जो केवल स्वच्छ सरकार की बात करते हैं और किसी से उनका लेनादेना नही। प्रदेश को आज के वक्त में ऐसे मुख्यमंत्री की जरूरत है जो भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी, बाहुबलियों व अपराधियों का समूल सफाया एक तानाशाह बादशाह के रूप में करें और आम नागरिक के लिए बेहद नम्र व हमदर्द साबित हो। कु ल मिलाकर पंडितो का कहना है कि यूपी को मोदी का दूसरा रूप ही संभाल सकता है इसके लिए जो भी नाम प्रकाश में आ रहे है उसमें चेहरा नही बल्कि यह देखना जरूरी होगा कि विधायक, मंत्री या मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए अपने कार्यकाल में उनकी कार्यप्रणाली का क्या परिणाम रहा। यदि भाजपा यूपी में काययाब न हो पाई तो यहीं से भाजपा की उल्टी गिनती शुरू हो जायेगी। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश ऐसे मुख्यमंत्री की जरूरत जो जात-पात और धर्म से उठकर निष्पक्षता के साथ शासन चलायें।
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