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    Thursday 23 March 2017

    लाइसेंसी यांत्रिक बूचडखानों को बंद करने को लेकर अदालत में चुनौती दे सकता हैं एसोसिएशन - up meat traders may be challenge in the court on lockout in valid slaughterhouses

    लखनऊ : उत्तर प्रदेश में सभी यांत्रिक बूचड़खाने बंद करने के अपने वादे पर अमल में सत्तारूढ़ भाजपा को केंद्र में अपनी ही सरकार की नीतियों के विरोधाभास और कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ सकता है. भाजपा ने अपनी चुनाव घोषणापत्र में सत्ता में आने पर प्रदेश के सभी यांत्रिक बूचड़खानों को बंद करने का वादा किया था. इसे जमीन पर उतारने की कवायद के तहत प्रदेश की आदित्यनाथ योगी सरकार ने बुधवार को एक बयान में कहा था कि प्रदेश में संचालित अवैध पशु वधशालाओं को बंद कराना एवं यांत्रिक पशु वधशालाओं पर प्रतिबंध वर्तमान सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है.

    हालांकि, ऑल इंडिया मीट एंड लाइवस्टॉक एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन का कहना है कि अवैध बूचड़खाने बंद किये जाने का कदम तो ठीक है, लेकिन जहां तक लाइसेंसी यांत्रिक बूचडखानों को बंद करने के भाजपा के चुनाव घोषणापत्र के वादे पर अमल का सवाल है, तो यह केंद्र में इसी पार्टी की नीतियों के प्रति विरोधाभासी कदम होगा और एसोसिएशन जरूरत पड़ने पर इसे अदालत में चुनौती देगी.


    एसोसिएशन के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बूचड़खानों को बाकायदा एक उद्योग का दर्जा दे रखा है. उसका खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय यांत्रिक बूचड़खाने लगाने के लिए 50 फीसदी तक अनुदान देकर इसे प्रोत्साहित करता है. वहीं, उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार देश के कुल मांस निर्यात में करीब 50 फीसदी का योगदान करने वाले इस सूबे में यांत्रिक बूचड़खानों पर पाबंदी लगाने की बात कर रही है.

    उन्होंने कहा कि हालांकि प्रदेश सरकार ने यांत्रिक बूचड़खाने बंद किये जाने को लेकर अभी तक कोई औपचारिक आदेश जारी नहीं किया है, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश में विभिन्न जगहों पर पशु वधशालाएं बंद की जा रही हैं. हालांकि, उनमें से ज्यादातर अवैध हैं और उन्हें बंद किया भी जाना चाहिए, लेकिन जैसा कि भाजपा ने अपने चुनाव घोषणापत्र में सभी यांत्रिक कत्लखानों को बंद किये जाने का वादा किया था. अगर वह ऐसा करने के लिए कोई कदम उठाती है या फिर अध्यादेश लाती है, तो एसोसिएशन अदालत जा सकती है. संगठित उद्योग को तंग नहीं किया जाना चाहिए. फिलहाल, हम सरकार के कदमों पर बारीकी से निगाह रख रहे हैं.
    एसोसिएशन के पदाधिकारी ने बताया कि पिछले तीन महीने के दौरान नोटबंदी की वजह से पहले ही काफी नुकसान हो चुका है. अगर यांत्रिक बूचड़खाने बंद किये गये, तो इससे लाखों लोगों की रोजी-रोटी पर असर पड़ेगा. इससे उन किसानों पर भी प्रभाव पड़ेगा, जो अपने बेकार हो चुके जानवरों को बूचड़खानों में बेचते हैं.
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