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    Wednesday 1 March 2017

    कर्तव्य का निर्वाह नहीं करने पर जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार - Voters will have these power of right to recall bill

    नयी दिल्ली : जनता के पैसे से चुनाव लड़कर काम न करने वाले सांसद-विधायक समेत अन्य जनप्रतिनिधियों के अच्छे दिन शायद लदने वाले हैं. यदि ऐसा हो जाता है, तो काफी समय से उठायी जा रही मांग पूरी हो जायेगी. संसद में भाजपा के सांसद वरूण गांधी की ओर से राइट टू रिकॉल से संबंधित एक निजी विधेयक पेश किया जाने वाला है, जिससे जनप्रतिनिधियों के काम से नाराज मतदाताओं को उन्हें वापस बुलाने का अधिकार मिल सकेगा.
    मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार, भाजपा विधायक संसद में राइट टू रिकॉल से संबंधित जिस विधेयक को पेश करने जा रहे हैं, उसमें यह प्रस्तावित है कि किसी क्षेत्र के 75 फीसदी मतदाता अगर अपने सांसद और विधायक के काम से नाराज हैं, तो उन्हें निर्वाचन के दो साल बाद वापस बुलाया जा सकता है. इस विधेयक के बारे में भाजपा के सांसद वरुण गांधी ने कहा कि तर्क और न्याय के तहत अगर लोगों को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार है, तो उन्हें यह हक भी होना चाहिए कि वे कर्तव्य का निर्वाह नहीं करने या गलत कार्यों में संलिप्त होने वाले अपने जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का अधिकार मिले.


    दुनिया के कई देशों में वापस बुलाने के अधिकार के सिद्धांत का प्रयोग किये जाने का जिक्र करते हुए लोकसभा सांसद ने जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 में संशोधन के जरिये जन प्रतिनिधित्व अधिनियम संशोधन विधेयक 2016 का प्रस्ताव दिया है. विधेयक में यह प्रस्ताव किया गया है कि जन प्रतिनिधियों को वापस बुलाने की प्रक्रिया उस क्षेत्र के कुल मतदाताओं की संख्या के एक चौथाई मतदाताओं के हस्तक्षार के साथ लोकसभा अध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर करके शुरू की जा सकती है. हस्ताक्षर की प्रमाणिकता की जांच करके लोकसभा अध्यक्ष इस याचिका को पुष्टि के लिए चुनाव आयोग के समक्ष भेजेंगे.


    वरुण गांधी के प्रस्तावित निजी विधेयक में कहा गया है कि आयोग हस्ताक्षरों की पुष्टि करेगा और सांसद या विधायक के क्षेत्र में 10 स्थानों पर मतदान करायेगा. अगर तीन चौथाई मत जनप्रतिनिधि को वापस बुलाने के लिए डाले जाते हैं, तब उस सदस्य को वापस बुलाया जायेगा. इसमें कहा गया है कि परिणाम प्राप्त होने के 24 घंटे के भीतर लोकसभा अध्यक्ष इसकी सार्वजनिक अधिसूचना जारी करेंगे. इसके बाद सीट खाली होने पर चुनाव आयोग उस क्षेत्र में उपचुनाव करा सकता है.

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