समीक्षा होने पर खुल सकती है सारी हकीकत
सहारनपुर। विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान जो माहौल था उसमें किसी को भी उम्मीद नही थी कि भाजपा को उम्मीदों से अधिक विधायक यूपी से मिल जायेगें। सहारनपुर की सात सीटों में अनुमान लगाया जा रहा था कि यहां कम से पांच सीटों पर तो भाजपा विजयी झंडा लहरायेगा। नगर सीट को लेकर शंका तो थी लेकिन इसके बावजूद यही माना जा रहा था कि राजीव गुम्बर भले ही कम वोटों से जीत हासिल करें लेकिन नगर सीट पर भाजपा का विधायक बनेगा।
चुनाव प्रचार से पूर्व व चुनाव प्रचार के दौरान यह आशंका प्रबल होकर सामने आ रही थी कि भाजपा के ही कुछ भीतरी लोग राजीव गुम्बर को विधायक पद पर इस बार देखना नही चाहते। इसके पीछे कुछ के निहितस्वार्थ व कुछ को इस बात की ईष्र्या थी कि उनकी भाजपा के साथ जुटकर उम्र गुजर गई लेकिन टिकट दूसरी बार एक भी नये युवक को भाजपा आलाकमान से मिल गया। उधर राजीव गुम्बर के करीबियों की माने तो पिछले मध्यवर्ती चुनाव में गुम्बर ने नगरवासियों की बीच काफी लोकप्रियता हासिल की। इसी के साथ कुछ लोग यह भी आरोप लगाते रहे कि राजीव गुम्बर ने अपने कार्यकाल में कोई विकास कार्य नही करायें। शिकायत किसी हद तक उन लोगों की भी जायज थी लेकिन परिस्थितियां क्या रही इसका जवाब तो खुद राजीव गुम्बर के करीबी लोगों के पास ही था।
कुछ तो आस्तीनों के सांपो ने भाजपा के गढ़ों में सेंध लगा गुम्बर के मतदाताओं को दूसरा रास्ता दिखा दिया। वहीं कुछ ने उन लोगों के दिलो दिमाग पर गुम्बर के प्रति यह छाप बना दी कि जो कार्य गुम्बर नही करा पायें चुनाव होते ही दूसरा प्रत्याशी तेजी के साथ उन्हे पूरा करायेगा। माना जा रहा है कि राजनीति के धुरंधर भाजपा के ही कुछ लोगों ने गुम्बर के साथ बडा खेल खेला। चुनाव प्रचार के दौरान ये भाजपाईयों व व्यापारी नेताओं के वे चेहरे एक परछाई की तरह सामने आये जो कभी नगर की मामूली समस्या को लेकर भी समाचार पत्रों की सुर्खियों में बने रहते थे। कुछ लोग तो यहां तक कहते है कि मोदी की लहर में राजीव गुम्बर का हारना ऐसा रहा जैसे तेज गति से दौड रहे भाजपा के नगर उम्मीदवार के रास्ते में उनके विरोधियों ने दिखाई देने वाले कांटे बिछा दिए।
अभी यह बात भी उभर कर सामने आ रही है कि आस्तीन के सांप अब पछता रहे। सरकार को प्रदेश में प्रचंड बहुमत के साथ भाजपा की बन गई यदि नगर विधायक भी भाजपा को होता तो बात ही कुछ ओर होती।
इन्सेट
मुझे किसी से मलाल नही- गुम्बर
विधानसभा चुनाव में हार पर राजीव गुम्बर मायूस तो है लेकिन हिम्मत अभी भी नही हारी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी के किसी भी पदाधिकारी व कार्यकर्ता से कोई शिकायत नही है। उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि सरकार भाजपा की बनी है। इस बात का उन्हें कोई मलाल नही है कि वे विधायक नही बना पायें। नगर के विकास और अन्य समस्याओं के लिए जो उन्होंने भविष्य के लिए सोच रखा था उसे वे विधायक न रहते हुए भी उसी लग्र के साथ पूरा करेंगें। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कोई जैसा करता है उसे वैसा ही फल मिलता है यदि किसी ने उनके साथ कुछ गलत किया है वह वहीं जानता होगा। उनके लिए तो भाजपा को पूरा परिवार, नगर का मतदाता व सभी निवासी सम्मानीय है। चुनाव में हारने के मसले पर समीक्षा से सवाल पर उन्होंने कहा कि यह हाईकमान का मामला है। इतना जरूर बोले कि हकीकत सामने आना जरूरी है। इससे उन लोगों के सामने वे चेहरे बेनकाब होगें जिन्होंने चुनाव में जीत के लिए रात-दिन एक कर पार्टी का साथ दिया।
BJP जो सीटे हारी प्रर्यवेक्षक उसकी समीक्षा BJP कार्यकर्ताओ से करे नेताओ से नही ।।
ReplyDeleteजनता से सर्वे हो कि नगर सीट क्यू हारी भाजपा ।।
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