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    Tuesday 14 March 2017

    डिग्री वालों ने बढ़ाया झोलाझाप डाक्टरों धंधा? - Degree holder doctor is breadthed fake doctor


    -50 रूपयें में कर देते हैं नजलें, जुकाम व बुखार का इलाज-जेब खाली होने गरीब मरीजों के पास कोई चारा भी नहीं
    मुख्य संवाददाता
    सहारनपुर। झोलाझाप कहलाने वाले स्वयं भू डाक्टरों का धंधा भले ही कानूनी अपराध है लेकिन इसके बावजूद हजारों की संख्या में ये डाक्टर अपना धंधा चला रहे है। इसके लिए यदि डिग्रीधारी डाक्टरों को दोषी माने तारे शायद गलत ना होगा। गरीबों के पास बीमार होने पर इसके अलावा कोई चारा भी नहीं। 

    शहर, कस्बों व देहातों पर नजर डाले तो जिले का कोई इलाका ऐसा नहीं बचा है जहां किसी मौहल्ले में दो-चार तथाकथित झोलाझाप डाक्टर अपने क्लीनिक खोले मरीजों का इलाज न कर रहे हो। स्वास्थ्य विभाग की सख्त हिदायतें और बिना डिग्री व रजिस्ट्रेशन के इस तरह मरीजों का इलाज करना कानूनी अपराध है। पकड़े जाने पर ऐसे डाक्टरों को जेल भी हो सकती है इसके बावजूद लगातार इनकी संख्या बढ़ रही है, बढ़े भी क्यों ना? पिछलें एक दशक से अनेको नई-नई बीमारियां मरीजों को घेर रही है। मरीजों का किसी डिग्रीधारी से इलाज कराना आर्थिक तौर पर आसान नहीं रहा। अधिकांश डाक्टरों ने अपनी फीस 150 से लेकर 800 रूपयें तक कर रखी है। इलाज फीस तक ही सीमित नहीं मरीज को भले ही मामूली बीमारी हो डिग्रीधारी डाक्टर मरीजों के अनावश्यक टेस्ट करा 400-500 रूपयें की दूसरी चपत मरीज को लगा देते है। इलाज यहीं तक सीमित नहीं डाक्टरों के यहां खुले मेडिकल स्टोरों पर भी दवाएं कम दामों पर नहीं मिलती है। कुल मिलाकर हालात ये बन चुके है कि एक गरीब मरीज का डिग्रीधारियों से इलाज कराना उनकी पहुंच से बाहर हो चुका है। 

    जिन्हें झोलाझाप कहा जाता है उनमें अधिकांश ऐसे हैं डिग्री तो वैद्य व हकीम की होती है ओर वे एलोपैथिक दवाओं से मरीजों का इलाज करता है। झोलाछाप की श्रेणी में पूर्णतय आने वाले ऐसे स्वयं भू डाक्टर है जो कुछ समय तक डिग्रीधारी डाक्टरों व मेडिकल स्टोरों पर काम करने के बाद खुद डाक्टर बन अपना क्लीनिक खोलकर बैठ जाते है। खास बात ये है कि इन डाक्टरों के यहां ज्यादातर गरीब मरीज पहुंचतें हैं। दो-चार दिन के इलाज के बाद सामान्य बीमारियों में आराम भी हो जाता है। इन डाक्टरों में सबसे ज्यादा घातक वे डाक्टर है जो पैसें के लालच में गंभीर रोगियों को भी अपने इलाज में ले लेते है। लेकिन ऐसा बहुत कम डाक्टर करते है। कुल मिलाकर झोलाछाप डाक्टरों की कार्यप्रणाली पर नजर डाले तो इनके यहां पहुंचने वाला मरीज कम से कम डिग्रीधारी डाक्टरों की मोटी फीस अनावश्यक पैथोलोजी टेस्ट व मंहगी दवाओं की कीमत के बोझ से बच जाता है। 
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    सरकारी अस्पतालों में मरीजों की दुर्दशा
    सरकारी अस्पतालों पर नजर डाले तो शासन की ओर से सुविधाएं तो बेहतर से बेहतर मुहैया कराई जाती है लेकिन आम मरीजों को उनका लाभ पहुंचना महज भ्रष्टाचार व सरकारी अस्पतालों मेंं भर्ती मरीजों की संख्या के कारण नहीं पहुंच पाती। जिला अस्पताल पर नजर डाले तो भ्रष्टाचार मरीजों को स्वास्थ्य उपलब्ध कराने में जबरदस्त बाधा हैं। मरीजों को फायदा ना होने का हवाला देकर अधिकांश डाक्टर उन्हें बाहरी मेडिकल स्टोरों की दवाईयां लिखते है जिसके बदले दवा कंपनियों या मेडिकलों स्टोरों के स्वामियों से डाक्टरों का कमीशन पहुंच जाता है। इतना ही नहीं जिला अस्पताल के अल्ट्रासाउंड़, एक्स-रे व पैथोलोजी रिपोर्ट से बेहतर निजी संस्थानों की रिपोर्ट को एहमियत देते है। इसके पीछे किसी हद तक सरकारी डाक्टर भी अपनी जगह मरीज के हित में सहीं रहते है लेकिन सवाल यहां ये उठता है कि अस्पताल में सभी सुविधाएं होने के बावजूद वहां की रिपोर्ट पर सवालियां निशान क्यों लग जाता है? अस्पताल के वार्डो का भी हाल खराब है बेहतर इलाज के लिए नर्स को कुछ ना कुछ सुविधा शुल्क मरीज के तीमारदारों द्वारा दिए बिना नहीं मिल पाता।
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    Item Reviewed: डिग्री वालों ने बढ़ाया झोलाझाप डाक्टरों धंधा? - Degree holder doctor is breadthed fake doctor Rating: 5 Reviewed By: Sonali
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