-जिला प्रशासन को बरतनी होगी चप्पे-चप्पे पर जबरदस्त सर्तकता-नगर ही नहीं जिले भर में अलर्ट रखना होगी डायल 100 सेवा-पुलिस प्रशसन ने 1250 से अधिक संवेदनशील स्थान चिन्हित किए-होली पर्व को लेकर प्रशासन ने जिलेभर में चौकसी बढ़ाई
सहारनपुर। मतदान से पूर्व व मतदान तथा इसके बाद से जिले भर के मतदाता व विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशी उनके कार्यकत्र्ता खामोश बैठे है। खमोशी क्या है इसका पता चुनाव नतीजे आते ही चल जायेगा। अभी तक के सर्वे के मुताबिक जनपद में पूरी तरह शांति है ओर कुछ भी ऐसे संकेत नहीं मिल रहे है कि ये शांति-अशांति में ना बदल जाये। फिर भी पिछले तीन दशकों के हालात पर नजर डाले तो जिला प्रशासन को ऐसे दौर में भी चौकसी बरतना बेहद जरूरी है। हालांकि प्रशासन ने इसके लिए पुख्ता इंतजाम भी कर रखे है।
सहारनपुर जिला पिछले तीन दशको से प्रदेश के संवेदनशील जिलों की श्रेणी में आ चुका है। यहां कभी मामुली चिंगारी तो कभी किसी बड़े विस्फोटक घटना के कारण पांच बार सांप्रदायिक दंगों की चपेट में आ चुका है। किसी भी दंगे में ऐसा नहीं हुआ कि यहां आंशिक या पूरे जिले में कफ्र्यू ना लगा हो। सबसे ज्यादा सहारनपुर नगर व देवबंद क्षेत्र संवेदनशीलता की श्रेणी में आगे रहे है। इस बार का चुनाव भी संवेदनशीलता की श्रेणी से कम से सहारनपुर में तो बाहर नहीं है। कहा नहीं जा सकता कि मतदान के बाद मतगणना के दौरान नतीजे आते ही अब तक की खामोशी शोर में ना बदल जाये। माना जा रहा है कि प्रशासन भी यहां की संवेदनशीलता को बखूबी समझ रहा है। यहीं कारण है कि मतगणना से पूर्व ही जिला प्रशासन ने स्थानीय पुलिस फोर्स के अलावा चार कंपनी पैरामिलिट्री फोर्स मांगाई है। जो इससे साफ जाहिर है कि भले ही प्रशासन होली पर्व की व्यवस्था को लेकर फोर्स तैनात रखने की बात कह रहा है, लेकिन हालात के मध्यनजर प्रशासन का मकसद ही है चाहे होली का पर्व हो इससे पूर्व मतगणना के नतीजे सभी शांतिपूर्वक संपन्न हो सके।
सूत्रों के मुताबिक इस दिनों खुफिया तंत्र जिले भर के संवेदनशील इलाकों से जानकारियां एकत्र करने के अलावा ऐसे लोगों को भी चिन्हित कर रहा है जिनसे किसी भी रूप में शांति को खतरा हो। जानकारी मिली है कि खुफिया विभाग ने जिले भर में 1250 से भी अधिक संवेदनशील स्थान चिन्हित किए है। जिसकी रिपोर्ट आला अफसरों के जरिए पिछलें दस दिनों से शासन-प्रशासन के आला अफसरों को भेजी जा रही है। यही कारण है कि यहां की गंभीरता को देखते हुए केंद्र व प्रदेश से अर्ध सैनिक बलों की कंपनियां भी भेजी जा चुकी है। जिन्हें शहर के अलावा जिले भर में तैनात किया जा रहा है। सभी पुलिसकर्मियों की छुट्टियां पहले से ही बंद थी अब इस पर और सख्ती कर दी गई है। इसके अलावा पुलिस की डायल 100 सेवा को भी पूरी तरह से अलर्ट किया जा रहा है ताकि पूरा जिला पुलिस प्रशासन द्वारा की गई सुरक्षा शिकंजे में रहे। मतदान के नतीजों दिन यानि 11 फरवरी व इसके बाद होली पर्व पूरी तरह शांतिपूर्वक संपन्न हो जाने पर ही प्रशासन राहत की सांस ले सकेंगा।
हर रोज समीक्षा कर रहे है अधिकारी
पुलिस व प्रशासानिक अधिकारी जिले भर के हालातों की ताजा जानकारी लेने के साथ हर रोज हालात पर समीक्षा कर रहे है। खासतौर से डीएम व एसएसपी इस मामलें पर बेहद गंभीर है। शासन से आने वाले निर्देशों का पुलिस व प्रशासन के अधीनस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों से समय रहते पालन कराया जा रहा है। डीएम व एसएसपी के अलावा अन्य प्रशासनिक व पुलिस अधिकारी जिनमें एडीएम प्रशासन, नगर मजिस्ट्रेट, सभी उपजिलाधिकारी क्षेत्रों का दौरा कर हर पहलू पर जायजा ले रहे है। सूत्रों के मुताबिक सभी थाना प्रभारियों से जवाब तलब भी किया जा रहा है ताकि किसी भी क्षेत्र के सुरक्षा इंतजामों में कोई चूक ना रह जाये।
खामोशी भी हो सकती है खतरनाक?
इस बार चुनाव बेहद शांतिपूर्वक संपन्न हुए। जिले भर में कही भी ऐसी कोई घटना नहीं हुई जो शासन-प्रशासन व चुनाव आयोग के इंतजामों पर दाग लगा सके। लेकिन ये बात भी किसी से छुपी नहीं है इस बार चुनाव संप्रादायिकता व जातिवाद के आधार पर भी हुआ है। मुख्य मुकाबला भाजपा, सपा-कांग्रेस गठबंधन व बसपा के बीच है। सहारनपुर की सात सीटों पर मतदान को हुए 22 दिन बीत चुके है। तीनों ही राजनैतिक दलों के उम्मीदवार व उनके समर्थक दावें ठोक रहे है कि वे सबसे ज्यादा वोट पाकर विधानसभा में पहुंचेगे। दावें कितने सही है इसका अनुमान अभी तक कोई नहीं लगा सका है। हकीकत ये है कि इस बार किसके पक्ष में कितना वोट पड़ा, इसका अंदाजा किसी भी तरह नहीं लगाया जा सका। वोटर पूर्व की अपेक्षा इस कदर चालाक रहा कि वह कही भी खुलकर सामने नहीं आया। यदि किसी प्रत्याशी के कार्यकत्र्ता किसी मकान व दुकान पर अपनी पार्टी झंड़ा या पार्टी प्रत्याशी का स्टीकर लगाकर चले जाते थे, तो वह कुछ समय बाद ही किसी-किसी स्थान को छोडक़र जमीन पर ही पड़ा मिलता था। मतदाता ही नहीं चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाने वाले या अन्य असामाजिक तत्व भी अभी तक पूरी तरह खामोश है। हार-जीत की चर्चा तो करते है लेकिन अपने इर्द-गिर्द ही समिति है। नतीजे आने पर जहां एक खेमे में खुशियां होगी और दूसरों में मातम जैसा माहौल होगा तो इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि अभी तक की खामोशी शोर में ना बदल जाए।
हमारे सुरक्षा इंतजाम मजबूत: एसएसपी
एसएसपी लव कुमार ने मतगणना व होली पर्व को लेकर गुरूवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि पुलिस प्रशासन ने सभी कार्यक्रम शांतिपूर्वक संपन्न कराने के लिए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये है। जिले भर मे खासतौर से उन लोगों की गतिविधियों पर सख्त नजर रखी जा रही है जो समाज में अशांति फैलाने के लिए खतरा बनते है। उन्होंने बताया कि हमारे पास पर्याप्त फोर्स मौजूद है। बीएसएफ की चार कंपनियां पहुंच गई है जो चप्पे-चप्पे पर स्थानीय पुलिस के साथ नजर रखेंगी। मतगणना स्थल पर भी ऐसे इंतजाम किए गये है। अर्धसैनिक बलों के अधिकारी स्थानीय प्रशासन द्वारा मतगणना स्थल पर किए गये इंतजामों की रूपरेखा व मतगणना स्थल की भौगोलिक स्थिति का भी अपने स्तर से निरीक्षण कर रहे है। उन सभी तिराहो-चौराहों पर फोर्स लगाकर नाकाबंदी रखी जायेगी, जहां से मतगणना स्थल को आने-जाने का रास्ता निकलता है। इसके अलावा शहर के संवेदनशील इलाकों में भी फोर्स पूरी तरह अलर्ट रहेगा।
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