मुंबई: मुंबई में बीएमसी चुनाव में शिवसेना को कांटे की टक्कर देने के बाद अब बीजेपी ने मेयर पद का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि बीजेपी अब मुंबई के मेयर का चुनाव नहीं लड़ेगी. साथ ही पार्टी ने डिप्टी मेयर का चुनाव भी नहीं लड़ने का फैसला किया है.
उन्होंने कहा कि यह फैसला मुंबई की जनता के हितों को देखते हुए और उनके जनमत को सम्मान देने के लिए लिया गया है. बीजेपी मुंबई हित में शिवसेना का साथ देगी. बीजेपी की इस घोषणा के बाद अब मुंबई में शिवसेना का मेयर बनना लगभग तय है. वहीं शिवसेना ने विश्वनाथ महादेश्वर को मेयर पद के लिए और हरेश्वर वर्लीकर को डिप्टी-मेयर पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. शिवसेना के वरिष्ठ नेता अनिल परब ने यह जानकारी दी.
गौरतलब है कि शुक्रवार को ही फडणवीस कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने बयान दिया था कि वह इस बात को लेकर 200 फीसदी आश्वस्त हैं कि बीएमसी में भाजपा और शिवसेना एकसाथ आएंगे. पाटिल ने प्रदेश भाजपा की कोर समिति की अहम बैठक के पहले यह बयान दिया. उन्होंने यह भी कहा था कि राज्य की भाजपा नीत सरकार पर कोई खतरा नहीं है.
227-सदस्यीय महानगरपालिका में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. इस चुनाव में शिवसेना 84 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. भाजपा को 82 सीटें मिली और वह मामूली अंतर से ही शिवसेना से पिछड़ गई.
उन्होंने कहा कि यह फैसला मुंबई की जनता के हितों को देखते हुए और उनके जनमत को सम्मान देने के लिए लिया गया है. बीजेपी मुंबई हित में शिवसेना का साथ देगी. बीजेपी की इस घोषणा के बाद अब मुंबई में शिवसेना का मेयर बनना लगभग तय है. वहीं शिवसेना ने विश्वनाथ महादेश्वर को मेयर पद के लिए और हरेश्वर वर्लीकर को डिप्टी-मेयर पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है. शिवसेना के वरिष्ठ नेता अनिल परब ने यह जानकारी दी.
गौरतलब है कि शुक्रवार को ही फडणवीस कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने बयान दिया था कि वह इस बात को लेकर 200 फीसदी आश्वस्त हैं कि बीएमसी में भाजपा और शिवसेना एकसाथ आएंगे. पाटिल ने प्रदेश भाजपा की कोर समिति की अहम बैठक के पहले यह बयान दिया. उन्होंने यह भी कहा था कि राज्य की भाजपा नीत सरकार पर कोई खतरा नहीं है.
227-सदस्यीय महानगरपालिका में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. इस चुनाव में शिवसेना 84 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. भाजपा को 82 सीटें मिली और वह मामूली अंतर से ही शिवसेना से पिछड़ गई.
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