-------एसडीए पर दलालों का कब्जा, सेटिंग-गेटिंग के खेल में दलाल शामिल-----
अमित गुप्ता
सहारनपुर। विकास प्राधिकरण अपनी नीतियों को लेकर हर समय सवालों के घेरे में रहता है। इसी कड़ी में विकासा प्राधिकरण ने दिल्ली रोड़ पर जिस प्रकार से अवैध निर्माण का सहारा लेकर बिल्डिंग को ध्वस्त किया है। उस पर कांप्लेक्स के स्वामी ने सवालियां निशान खड़े कर दिए है। शहर में अनेकों जगह पर अवैध निर्माण का कार्य बड़े जोरो पर चल रहा है। परंतु विभागीय चुप्पी इस बात की ओर इशारा कर रही है कि विभाग के अधिकारियों से लेकर कर्मचारी तक भ्रष्टता के उस मुकाम तक पहुंच चुके है कि उन्हें सही-गलत में फर्क कराना भी मुश्किल हो रहा है।
गौरतलब है जिस प्रकार कुछ दिन पूर्व दिल्ली रोड़ पर बने एक कांप्लेक्स को विकास प्राधिकरण ने सिर्फ ये कहकर ध्वस्त कर दिया कि ये अवैध रूप से बनाया जा रहा है। जबकि काम्प्लेक्स के स्वामी राजेश कुमार कोयला व्यापारी का कहना है कि उसने विकास प्राधिकरण से बिल्डिंग बनाने की स्वीकृति लेने के बावजूद भी विभाग ने इसे ध्वस्त कर दिया है। परंतु हैरानी की बात तो ये है कि घंटाघर स्थित शुभम प्लाजा जो कि सहारनपुर के ऐसे हिस्से में बनाया जा रहा है जहां पर से होकर ऐसा कोई प्रशासनिक अधिकारी, नेता आदि ना गुजरता हो, परंतु बावजूद इसके इस प्लाजा का अवैध निर्माण सालों से चल रहा है, परंतु प्राधिकरण की चुप्पी इस बात को उजागर कर रही है कि दाल में कुछ काला है।
सूत्रों की माने तो शुभम प्लाजा को बनवाने के लिए शहर के कुछ एसडीए के दलालों ने ठेका लिया हुआ है। जिसमें एक बहुत बड़े खेल की बू आ रही है। इन दलालों ने प्लाजा के मालिक से मोटी रकम के साथ-साथ प्लाजा में दो दुकानें भी अपने नाम करवाई है। जिसमें एसडीए का भी इसमें बहुत बड़ा रोल रहा है। यदि नियम की बात करे तो घंटाघर जैसे व्यस्त चौक पर जिस प्रकार से ये अवैध निर्माण हुआ है साथ ही इस बिल्डिंग़ में जो बैसमेंट बनाया गया है ये भी नेशनल हाइवे पर नहीं बनाया जा सकता है। नियम के अनुसार हाईवे से 300 मीटर के अंतर्गत हाईवे पर कोई भी बेसमेंट नहीं बनाया जा सकता है। परंतु शुभम प्लाजा को बनाने में दूर तक सेटिंग-गेटिंग का ऐसा खेल चला हैं। सूत्रों की माने तो यदि कोई भी इस बिल्डिंग़ के कागज देखे तो हैरान रह जाए। शनिवार को जिस प्रकार से एसडीए के वीसी मय टीम के शुभम प्लाजा के अवैध निर्माण को पहुंचे थे और औपचारिकता करते हुए बिल्डिंग़ के कुछ हिस्से पर बुलडोजर से अवैध निर्माण पर वार कराया, परंतु ऐसी क्या सेटिंग हुई की कुछ ही देर में विभाग को वापिस लौटना पड़ा। दबे स्वर में ये भी कहा जा रहा है किएसडीए के दलालों ने सेटिंग कर वीसी को वापिस करा दिया। हैरानी की बात तो ये है कि अब विकास प्राधिकरण पूरी तरह से दलाल ही चला रहे है।
गौरतलब है कि शहर में ऐसे कई अवैध कार्य चल रहे है परंतु इन अवैध निर्माणों पर वीसी द्वारा कोई भी कार्रवाई नहीं हो पाई। जैन डिग्री कालेज रोड़ स्थित आवास विकास में अवैध निर्माण बनकर भी तैयार हो गया, परंतु इस पर कोई भी आंच नहीं आ पाई है। ऐसे ही सतयुग आश्रम स्कूल के सामने एक काम्प्लेक्स बनाया गया, जिसका नक्शा तक पास नहीं था और वह तीन मंजिला बनकर तैयार हो चुका है, ऐसे ही देहरादून रोड़ स्थित नौगजा पीर के पास एक हरा-भरा बाग काटकर कालोनी काट दी जाती है, वहां भी काई कार्रवाई नहीं की गई। बेहट रोड़ से संकलापुरी रोड़ पर भी अवैध कालोनी काटी जा रही है, परंतु यहां भी भूमफियाओं के हौंसले बुलंद हो चुके है और वे बेखौफ होकर प्लाट बेच रहे है। ऐसा एक मामला नहीं है जो कि अवैध रूप से बिल्डिंग व कालोनी काटी जा रही है। परंतु विभागीय कार्रवाई मात्र जीरो ही है। जब विभाग ही अवैध कालोनियों व अवैध रूप से बन रही बिल्डिंग़ों शह दे रहा है तो कोई दूसरा क्या कर सकता हैं ?
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