मुख्य संवाददाता
सहारनपुर। चुनावी नतीजों को अभी कुछ ही दिन शेष रह गए हैं, पर सहारनपुर से कौन से पार्टी कितनी सीटें जीत रही है, उक्त रिपोर्ट यहां विभिन्न पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मांगी गई है। इसी कड़ी में भाजपा नेताओं ने अपनी सीटों की स्थिति की बाबत जो रिपोर्ट आलाकमान को भेजी है। जिसमें सहारनपुर में भाजपा छह सीटों को जीतने का दावा पेश कर रही हैं। वहीं कांग्रेस-सपा गठबंधन भी जिले में अपनी सातों सीटों की दावेदारी पेश कर रहा है। रही बात बसपा की इस बार बसपा सरकार भी चार सीटों पर अपनी जीत मान रही है। परंतु आमजन का जिस प्रकार से मत है उससे ये जाहिर हो रहा है कि इस बार बसपा का जिले से सूपड़ा साफ हो रहा है। उम्मीद जताई जा रही थी कि बसपा की दो सीटे रामपुर व देहात सीट पक्के तौर पर बसपा की झोली में ही रहेंगी।
भाजपा तोड़ेगी बसपा का तिलस्म
भाजपा नेताओं का दावा हैं कि इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा, बसपा का तिलस्म तोडऩे जा रही है। वहीं शीर्ष नेता भी दावा पेश कर रहे है कि सहारनपुर जिले की छह सीटे उनके खाते में आ रही है। जिले के शीर्ष नेताओं ने आलाकमान को जो रिपोर्ट पेश की है उसमें छह सीटों पर अपना कब्जा मान रहे है। जबकि रिपोर्ट में शीर्ष नेताओं ने देहात सीट को कमजोर बताया है। गौरतलब है कि पिछली बार बसपा ने जिले में चार सीटें जीतकर अपना वर्चस्व कायम किया था, परंतु इस बार भाजपा इन चारों सीटों पर अपनी जीत का दावा कर रही है। जिले सहारनपुर की जो रिपोर्ट आलाकमान को सौंपी है उनमें नगर से राजीव गुंबर जीत मानी जा रही है तो रामपुर में देवेंद्र नीम को विजयी दर्शाया गया। काबिले गौर है कि पिछली बार नकुड से बसपा से विधायक रहे डा. धर्मसिंह सैनी, इस बार भाजपा से चुनाव लड़ा है, वहीं भाजपा के आंकडों बता रहे है कि इस बार भी नकुड़ सीट से धर्मसिंह सैनी विजयी होंगे। वहीं गंगोह से भाजपा से प्रदीप चौधरी विजयी बताए जा रहे है। बेहट से महावीर राणा की जीत पक्की मानी जा रही है। देवबंद सीट से ब्रिजेश को विजयी मान रहे है। वहीं भाजपा पार्टी के नेता देहात सीट से मनोज चौधरी को लेकर असंजस्य में हैं। यदि आमजन की बात करे तो इस बार नगर सीट पर कांग्रेस-सपा के प्रत्याशी संजय गर्ग की जीत मानी जा रही है।
सभी पार्टियां पेश कर रही अपनी जीत के दावें
जिले की सातों सीटों पर इस बार जिस प्रकार से वोटरों ने साइलेंट वोट किया है। उससे सभी पार्टियों के प्रत्याशियों की दिल की धडक़ने बढ़ी हुई है। परंतु हर पार्टी के नेता व कार्यकत्र्ता अपनी-अपनी जीत के आंकड़े दर्शाकर हाईकमान को रिपोर्ट भेज रहे है। अब इस बात का पता तो आने वाली 11 तारिख को ही पता चल पायेगा कि ऊंट किस करवट बैठता है। गौरतलब है कि जब भाजपा पार्टी के एक बड़े नेता से सीटों के संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि जिस प्रकार भाजपा ने मुंबई बीएमसी चुनाव में एक अच्छी बढ़त के साथ सीटें निकाली है। बकोल नेतओं के उसी प्रकार यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा इतिहास रचने वाली है।
नोटबंदी का वोटरों पर नहीं कोई असर
ये माना जा रहा था कि नोटबंदी से भाजपा को भारी झटक़ा लगेगा, परंतु जिस प्रकार से नोटबंदी के बाद भाजपा ने तीन एमएलसी व एक मेयर का चुनाव जीतकर, ये जाहिर कर दिया है कि इस नोटबंदी से आमजन पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। यदि नोटबंदी का असर आमजन पर पड़ता तो शायद ये चुनाव भाजपा कभी नहीं जीत पाती है। हांलाकि नोटबंदी का प्रभाव कारोबारियों पर अच्छा खासा पड़ा है। जिससे व्यापारियों में भारी आक्रोश रहा है। परंतु चुनाव की तिथि आते ही व्यापारी भी भगवा चोले में नजर आए। जिस प्रकार के दावें जिले में भाजपा के नेता कर रहे है उससे लग रहा है कि भाजपा के साथ यूपी चुनाव में कोई फाइट में नहीं उतरा है। परंतु जिस प्रकार से भाजपा नेताओं का ओवर कोंफिडेंस सिर चढक़र बोल रहा है। उससे कही भाजपा को भारी मात जिले में ना मिल जाए।
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