हावड़ा जिले में एक स्कूल के अनिश्चितकाल के लिए बंद होने से 2000 छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. सरकारी सहायता प्राप्त इस स्कूल को क्षेत्र में तनाव की वजह से बंद किया गया है. उलूबेरिया में तनाव तब शुरू हुआ जब स्कूल के प्रबंधकों ने अपने परिसर में एक धार्मिक कार्यक्रम के आयोजन की इजाजत नहीं दी.
राज्य शिक्षा विभाग ने उलूबेरिया के तेहाट्टा हाई स्कूल में सभी शैक्षणिक कार्यों का संचालन बंद कर दिया है. बीते माह स्कूल में छात्रों के एक समूह को हजरत मोहम्मद के जन्मदिन पर स्कूल परिसर में 'नबी दिवस मनाने की इजाजत नहीं दी गई थी. इसके बाद से ही तनाव महसूस किया जा रहा था. हावड़ा के डिस्ट्रिक्ट इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल्स (माध्यमिक शिक्षा) की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि 'प्रशासनिक समस्या जारी रहने' की वजह से कक्षाओं का संचालन बंद कर दिया गया है.
स्कूल स्टाफ के मुताबिक 1 फरवरी को स्कूल में सरस्वती पूजा के आयोजन को देखते हुए तनाव और बढ़ गया है. स्कूल प्रशासन का दावा है कि छात्रों का एक वर्ग बाहरी तत्वों से प्रभावित होकर परिसर में 13 दिसंबर को बिना अनुमति मांगे नबी दिवस का आयोजन करना चाहता था. इस घटना की वजह से इलाके में कथित दौर पर तनाव बढ़ गया. स्कूल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप भी सामने आए.
छात्रों के एक वर्ग के व्यवहार को देखते हुए स्कूल प्रशासन ने 16 दिसंबर और 27 जनवरी को जिला पुलिस को दो चिट्ठियां भेजीं. स्कूल टीचर इंचार्ज की ओर से पुलिस को भेजी चिट्ठी में कहा गया- "मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि 13 दिसंबर 2016 को 9वीं, 10वीं कक्षा के कुछ छात्र स्थानीय इस्लामिक कट्टरपंथी समूहों के प्रभाव में आकर स्कूल में जबरन घुस गए और स्कूल प्रशासन से अनुमति लिए बिना 'बिस्वानबी दिवस' मनाना शुरू कर दिया. इससे साम्प्रदायिक तनाव हुआ और स्कूल का वातावरण बिगड़ा. हालत ये है कि स्कूल के टीचर्स और गैर शिक्षक कर्मचारी स्कूल आने में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. ऐसे में हमें स्कूल गतिविधियों को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित करना पड़ रहा है."
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने 20 दिसंबर को एसडीओ ऑफिस में बैठक बुलाई गई. इस बैठक में पुलिस और स्कूल प्रशासन के अलावा प्रभावशाली मुस्लिम उलेमा कासिम सि्ददीकी ने भी हिस्सा लिया. इस बैठक में फैसला किया गया कि छात्रों को 15 मिनट के लिए 'नबी दिवस' मनाने की अनुमति दी जाएगी. साथ ही ये किस तारीख को मनाया जाएगा, इसका फैसला स्कूल प्रशासन करेगा.
हालांकि फिर ऐसा आयोजन करने के लिए स्कूल की ओर से अनुमति नहीं दी गई क्योंकि राज्य शिक्षा विभाग ने स्कूल प्रशासन को ऐसा नहीं करने के लिए आगाह किया गया था.
स्कूल के हेडमास्टर उत्पल मल्लिक ने 'आज तक' को बताया कि वे छात्र सरकार के निर्देश के खिलाफ जाकर आयोजन करना चाहते हैं. बाहरी तत्वों की मदद से उन्होंने स्कूल परिसर में आयोजन के लिए जबरन मंच भी बना दिया. मल्लिक ने कहा कि इन छात्रों ने ये सवाल भी किया कि सरस्वती पूजा के आयोजन की अनुमति क्यों दी गई जबकि नबी दिवस मनाने की अनुमति नहीं दी गई. मानसिक दबाव ना सह पाने की वजह से उत्पल मल्लिक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
इस बीच बड़ी संख्या में छात्रों और उनके अभिभावकों ने स्कूल को तत्काल खोलने की मांग को लेक प्रदर्शन किया. पुलिस को 'नेशनल हाईवे-6' पर कई घंटे तक जाम लगाने वाले प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोलों का सहारा लेना पड़ा. कुछ छात्रों ने उलूबेरिया पुलिस स्टेशन को लिखित अर्जी देकर स्कूल में सरस्वती पूजा का आयोजन कराने के लिए मदद मांगी है. इन छात्रों का दावा है कि स्कूल में बीते 65 वर्षों से सरस्वती पूजा का आयोजन होता आ रहा है.
राज्य शिक्षा विभाग ने उलूबेरिया के तेहाट्टा हाई स्कूल में सभी शैक्षणिक कार्यों का संचालन बंद कर दिया है. बीते माह स्कूल में छात्रों के एक समूह को हजरत मोहम्मद के जन्मदिन पर स्कूल परिसर में 'नबी दिवस मनाने की इजाजत नहीं दी गई थी. इसके बाद से ही तनाव महसूस किया जा रहा था. हावड़ा के डिस्ट्रिक्ट इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल्स (माध्यमिक शिक्षा) की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि 'प्रशासनिक समस्या जारी रहने' की वजह से कक्षाओं का संचालन बंद कर दिया गया है.
स्कूल स्टाफ के मुताबिक 1 फरवरी को स्कूल में सरस्वती पूजा के आयोजन को देखते हुए तनाव और बढ़ गया है. स्कूल प्रशासन का दावा है कि छात्रों का एक वर्ग बाहरी तत्वों से प्रभावित होकर परिसर में 13 दिसंबर को बिना अनुमति मांगे नबी दिवस का आयोजन करना चाहता था. इस घटना की वजह से इलाके में कथित दौर पर तनाव बढ़ गया. स्कूल की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप भी सामने आए.
छात्रों के एक वर्ग के व्यवहार को देखते हुए स्कूल प्रशासन ने 16 दिसंबर और 27 जनवरी को जिला पुलिस को दो चिट्ठियां भेजीं. स्कूल टीचर इंचार्ज की ओर से पुलिस को भेजी चिट्ठी में कहा गया- "मैं आपको सूचित करना चाहता हूं कि 13 दिसंबर 2016 को 9वीं, 10वीं कक्षा के कुछ छात्र स्थानीय इस्लामिक कट्टरपंथी समूहों के प्रभाव में आकर स्कूल में जबरन घुस गए और स्कूल प्रशासन से अनुमति लिए बिना 'बिस्वानबी दिवस' मनाना शुरू कर दिया. इससे साम्प्रदायिक तनाव हुआ और स्कूल का वातावरण बिगड़ा. हालत ये है कि स्कूल के टीचर्स और गैर शिक्षक कर्मचारी स्कूल आने में खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. ऐसे में हमें स्कूल गतिविधियों को अनिश्चितकाल के लिए निलंबित करना पड़ रहा है."
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए जिला प्रशासन ने 20 दिसंबर को एसडीओ ऑफिस में बैठक बुलाई गई. इस बैठक में पुलिस और स्कूल प्रशासन के अलावा प्रभावशाली मुस्लिम उलेमा कासिम सि्ददीकी ने भी हिस्सा लिया. इस बैठक में फैसला किया गया कि छात्रों को 15 मिनट के लिए 'नबी दिवस' मनाने की अनुमति दी जाएगी. साथ ही ये किस तारीख को मनाया जाएगा, इसका फैसला स्कूल प्रशासन करेगा.
हालांकि फिर ऐसा आयोजन करने के लिए स्कूल की ओर से अनुमति नहीं दी गई क्योंकि राज्य शिक्षा विभाग ने स्कूल प्रशासन को ऐसा नहीं करने के लिए आगाह किया गया था.
स्कूल के हेडमास्टर उत्पल मल्लिक ने 'आज तक' को बताया कि वे छात्र सरकार के निर्देश के खिलाफ जाकर आयोजन करना चाहते हैं. बाहरी तत्वों की मदद से उन्होंने स्कूल परिसर में आयोजन के लिए जबरन मंच भी बना दिया. मल्लिक ने कहा कि इन छात्रों ने ये सवाल भी किया कि सरस्वती पूजा के आयोजन की अनुमति क्यों दी गई जबकि नबी दिवस मनाने की अनुमति नहीं दी गई. मानसिक दबाव ना सह पाने की वजह से उत्पल मल्लिक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
इस बीच बड़ी संख्या में छात्रों और उनके अभिभावकों ने स्कूल को तत्काल खोलने की मांग को लेक प्रदर्शन किया. पुलिस को 'नेशनल हाईवे-6' पर कई घंटे तक जाम लगाने वाले प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोलों का सहारा लेना पड़ा. कुछ छात्रों ने उलूबेरिया पुलिस स्टेशन को लिखित अर्जी देकर स्कूल में सरस्वती पूजा का आयोजन कराने के लिए मदद मांगी है. इन छात्रों का दावा है कि स्कूल में बीते 65 वर्षों से सरस्वती पूजा का आयोजन होता आ रहा है.
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