-- भाजपा, बसपा और सपा-कांग्रेस गठजोड़ में भिड़ंत
जन लीडर न्यूज़
देवबंद। विधानसभा चुनाव की हलचल जोरों पर है। देवबंद में भी अब नई परिस्थितियों में मुकाबला तिकोना हो गया है। हालांकि, जीत का पलड़ा आगे चलकर किस ओर झुकेगा, इस पर अभी सस्पेंस के बादल बरकरार हैं।
समाजवादी पार्टी के माविया अली पहले अपना सीधा मुकाबला भाजपा प्रत्याशी कुंवर ब्रिजेश रावत से मानकर चल रहे थे। जबकि, कांग्रेस की ओर से उतारे गए तीसरे प्रत्याशी मुकेश चैधरी से उन्हें अधिक चुनौती की उम्मीद नहीं थी। इसका कारण क्षेत्र में कांग्रेस का जनाधार न होना तथा चैधरी का बाहरी प्रत्याशी होना था। कांग्रेस के सपा से गठबंधन के कारण मुस्लिम मतदाता साथ आने की, जो उम्मीद कांग्रेस को थी, वो भी पूरी नही हो सकती थी। दरअसल, मुस्लिम मतदाता अमूमन अपने धार्मिक मार्गदर्शकों के इशारे के अनुसार ही वोट देते रहे हंै। देवबंद सीट गठजोड़ में कांग्रेस के खाते में थी और कांग्रेस ने हिन्दू गुर्जर को प्रत्याशी बनाया था। ऐसे में मुस्लिम मतदाताओं के पास इकलौते मुस्लिम प्रत्याशी माजिद थे। लेकिन, बदले हालात में कांग्रेस के मुकेश चैधरी के स्थान पर सपा के माविया चुनाव मैदान में डटे हंै। इससे मुकाबला तिकोना हो गया है।
लगभग सवा तीन लाख मतदाताओ वाली इस सीट पर लगभग 50 प्रतिशत मुस्लिम और दलित हंै। कांग्रेस-सपा के संयुक्त प्रत्याशी माविया ने विधानसभा उपचुनाव में सपा और भाजपा को मात दी थी जबकि, बसपा ने उपचुनाव नहीं लडा था। ऐसे में, माविया को दलित वोट भी मिले थे। चर्चा है कि माविया ने उपचुनाव में दलितों से कुछ वादे किये थे, लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया, जिसका चुनाव पर असर पड़ सकता है। लेकिन मुस्लिम मतदाता माविया को हीरो मानते हंै। जबकि, सूत्रों की मानें तो मुस्लिम मतदाताओं तक इस वर्ग में पैठ रखने वालों की ओर से सीधी हिदायत पहुंच चुकी है कि किसी भी एसे गैर सपा उम्मीदवार को वोट करें, जो भाजपा प्रत्याशी को हराने में सक्षम हो। अब बात भाजपा प्रत्याशी कुंवर ब्रिजेश की। बसपा प्रत्याशी माजिद अली के पास अपना वोट बैंक है। जबकि सपा प्रत्याशी माविया अली को मुस्लिम वोट जुटाने के साथ अपनी ही पार्टी के कुछ नेताओं का विरोध झेलना पड़ सकता है। ऐसे में, भाजपा प्रत्याशी के लिए देखने में जीत आसान नजर आ रही है परन्तु ऐसा है नहीं। भाजपा के बागी भूपेश्वर त्यागी और विरेन्द्र चैधरी भी वोट काटेंगे। यानी, इस बार भी उपचुनाव की तरह वोटिंग प्रतिशत कम रहा तो भाजपा की मुश्किल बढ़ जाएगी। बसपा प्रत्याशी माजिद अली पहले जहां केवल भाजपा से सीधे मुकाबले में अपनी जीत मानकर चल रहे थे, अब उन्हें सपा प्रत्याशी माविया से जूझना पडेगा। इस तरह अब तिकोने मुकाबले में जीत किसकी होगी, यह भविष्य के गर्भ में है।
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