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    Sunday, 29 January 2017

    गठबंधन की गांठ कर रहे कमजोर - Election 2017

     कांग्रेस-सपा को देंगे बड़ा झटका 

     अमित गुप्ता
     सहारनपुर। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस व सपा में जो पार्टियां के गुणगान कर झंडा, डंडा उठाया करते थे। उन नेताओं में विधानसभा चुनाव आते ही विधायक बनने की इच्छा जागने लगी और जब पार्टी ने उन्हें चुनावी रणभूमि में उतारने से मना कर दिया तो उन्होंने पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने की ताल ठोक दी। इससे सभी पार्टियों में इन नेताओं को लेकर बड़ी टेंशन दिखाई दे रही है। पार्टियां बगावती नेताओं को चुनाव मैदान से हटने के लिए रणनीति पर काम कर रही हैं लेकिन चुनाव लड़ने की जिद में दोनों दलों के कुछ नेताओं ने चुनावी रणभूमि से हटने से साफ इंकार कर दिया है। इससे आशंका बढ़ गई है कि बगावती अपनों को बड़ा झटका देकर सरकार बनाने के रास्ते में रोड़ा बन सकते हैं। ऐसे बगावती नेताओ ने नामांकन वापस न लिए तो सत्ता की चाबी किसके हाथ में होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हो जायेगा। सहारनपुर में हर विधानसभा सीट पर कांग्रेस व सपा के नेता अर्से से जनता के बीच जाकर चुनाव लड़ने की मंशा के तहत काम कर रहे थे। परंतु कांगे्रस-सपा गठबंधन के बाद जब संतोषजनक सीट बंटवारा नहीं हुआ तो दोनों दलों में टिकट कटने से खफा नेताओं ने पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। इन नेताओं को हटाने के लिए दिग्गज नेता मैदान में उतरे हुए हैं लेकिन कोई भी बगावती हटने को तैयार नहीं है। बागियों को दोनों दल के नेता सत्ता आने के बाद अहम पदों पर एडजस्ट करने का सपना दिखा रहे हैं लेकिन इसका खास असर नहीं दिख रहा। ऐसे में बगावती नेता दोनों दलों के लिए टेंशन बने हुए हैं, जिसका सीधा असर चुनाव पर पड़ना तय माना जा रहा है। ये बागी अपनी ही पार्टियों के प्रत्याशी को बड़ा झटका देने की तैयारी में हैं। हालांकि अभी नाम वापसी के बाद ही तस्वीर स्पष्ट होगी लेकिन इस रणनीति मे दोनों दलों के दिग्गज कितना सफल होंगे, यह समय ही बतायेगा। अलबत्ता, बागियों पर काबू न पाया गया तो इससे राजनीतिक समीकरण खासे प्रभावित होंगे। सहारनपुर नगर सीट से इमरान कांग्रेस से अपना प्रत्याशी उतरकर चुनाव लडवाना चाह रहे थे, परंतु आलाकमान के आदेश के बाद इमरान को संजय गर्ग के साथ खड़े होना पड़ा। वहीं देहात सीट से सपा ने तीन बार टिकट बदला है तो कांग्रेस के मसूद अख्तर भी यहां चुनाव लड़ रहे हंै। रामपुर मनिहारान में महागठबंधन से पहले सपा में चार बार टिकट बदला गया तो गठबंधन के बाद यहां से कांग्रेस के विश्वदयाल चुनाव लड़ रहे हैं। गंगोह सीट पर इमरान अपने भाई नोमान को चुनाव लड़ना चाह रहे थे, परंतु सपा ने यहां से इंद्रसेन का टिकट कर दिया था। परंतु गंगोह में राजनीति गर्माने से यहां इंद्रसेन का टिकट काटकर नोमान को ही देना पड़ा। देवबंद सीट पर कांग्रेस विधायक रहे माविया अली सपा में शामिल होकर अपना टिकट करा लाये तो इमरान ने यहां से मुकेश चैधरी का टिकट कराकर अपनी अहमियत दिखाई, परंतु यहां भी तमाम उतार-चढ़ाव के बाद फिर माविया का टिकट घोषित कर दिया गया। बेहट सीट पर सपा से एमएलसी उमर अली चुनाव लड़ने को तैयार थे परंतु यहां भी इमरान ने बाजी मारते हुए कांगे्रस से नरेश सैनी का टिकट करा दिया। वहीं नकुड सीट पर दोनों पार्टियों को गठबंधन रास नहीं आ रहा। यहां इमरान की घेराबंदी करते हुए उनके चाचा रशीद मसूद ने अपने सिपहसालार अब्दुल वाहिद को मैदान में उतारा है। इससे साफ जाहिर होता है कि जिले में अभी भी गठबंधन की गांठ बेहद कमजोर है।
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