728x90 AdSpace

  • Latest News

    Saturday 28 January 2017

    दल तो मिल गए, दिल कौन मिलाएगा...? - Election 2017

    ---- गठबंधन से ज्यादा ‘हठबंधन‘ नजर आ रहा सियासी समझौता ----
    * सपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में कायम है 36 का आंकड़ा
    * पहले भी तमाम मसलों पर दोनों खेमों में हो चुकी है तूतू-मैंमैं
    * दिलों में दूरियों का लाभ उठाने को बेताब हैं भाजपा व बसपा
    * शीर्ष नेतृत्व के नजरिए से पूरी तरह अलग है जमीनी हकीकत
    * असमंजस से जूझ रहे कांग्रेस और सपा के परंपरागत समर्थक 

    पवन शर्मा 
    सहारनपुर। सपा और कांग्रेस में सीटों के बंटवारे पर अर्से तक किच-किच के बाद आखिरकार दोनों दलों में तो गलबहियां हो चुकी हैं लेकिन दिलों की दूरियां बरकरार हैं। जिले की तकरीबन तमाम सीटों पर नामांकन प्रक्रिया खत्म होने तक सजी सियासी बिसात पर फिलवक्त यही कड़वी हकीकत नुमायां हो रही है। आलम यह है कि, कहीं ‘अपने‘ ही जड़ें खोद रहे हैं तो कहीं, बागियों ने पार्टियों के घोषित उम्मीदवारों की नींद उड़ा दी है। नतीजतन, कार्यकर्ताओं से लेकर परंपरागत समर्थकों के बीच खासा असमंजस है। प्रचार के एजेंडा या रणनीति पर साझा मंथन तो दूर, दोनों दलों के नेता साथ आने तक से हिचक रहे हैं। कई मसलों पर तो ‘तूतू-मैंमैं‘ की स्थिति बनी है, जिसकी स्पष्ट झलक सोशल मीडिया पर बखूबी देखी जा सकती है। 
    महीनों से गठबंधन को लेकर सपा और कांग्रेस में पक रही ‘खिचड़ी‘ अब प्लेट में जरूर सज चुकी है लेकिन, इसका स्वाद दोनों ही पार्टियों के कार्यकर्ताओं को कतई रास नहीं आ रहा। जिले की तमाम सीटों पर अब भी दोनों दलों के बीच खींचतान का माहौल यथावत कायम है। सहारनपुर में तय फामूले के तहत सपा के हिस्से में दो सीट आईं थी जबकि, पांच सीटों पर कांग्रेस को चुनाव लड़ाने का मसौदा तैयार किया गया। लेकिन, यह स्थिति उभरते ही पूरे जिले में सियासी घमासान शुरू हो गया। कांग्रेस और सपा, दोनों ही दलों में हर तरफ बगावत के सुर सुनाई देने लगे। चूंकि, चरम तक पहुंची इसी जद्दोजहद के बीच शुक्रवार को नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो गई। लिहाजा, अब दोनों ही सियासी खेमों में अभी तक आपस में ही बुरी तरह उलझी चुनावी मुकाबले की तस्वीर को लेकर असमंजस भी जस का तस बरकरार है।  
    बात सहारनपुर नगर सीट की करें तो यहां फिलवक्त संजय गर्ग सपा के अधिकृत उम्मीदवार हैं लेकिन, गठबंधन के फार्मूले पर अंतिम क्षणों तक स्थिति स्पष्ट न होने के चलते यहां कांग्रेस की ओर से भी मसूद अख्तर नामांकन कर चुके हैं। जबकि टिकट वितरण को लेकर खासे नाराज सपा के भी कुछ नेताओं ने यहां आखिरी दिन निर्दलीय ही ताल ठोकने की धमकी देकर पार्टी के चुनावी रणनीतिकारों की नींद उड़ा दी थी। गनीमत यह रही कि, नामांकन खत्म होने तक सपा से तो ऐसा कोई नाम सामने नहीं आया जबकि, गठबंधन के मौजूदा मसौदे पर अमल के लिए अब सबको 29 जनवरी का इंतजार है, जब कांग्रेस उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकते हैं। इसी तरह गंगोह से कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष इमरान मसूद के सगे भाई नोमान मसूद और सपा के चौधरी इंद्रसेन ने नामांकन के दो-दो सेट दाखिल किए हैं। नोमान ने एक सेट कांग्रेस और इंद्रसेन ने एक सेट बतौर सपा प्रत्याशी जमा किया है, जिससे यहां भी दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति है। प्रचार या चुनावी रणनीति का तो अता-पता तक नहीं है। 
    जिले में सबसे दिलचस्प तस्वीर सहारनपुर देहात सीट पर उभर रही है। यहां सपा से प्रत्याशी को लेकर स्थिति आखिरी क्षणों तक स्पष्ट नहीं है। एक तरफ यहां दर्जाधारी मंत्री सरफराज खान के बेटे शाहनवाज खान ने सपा से नामांकन किया है तो वहीं, टिकट कटने के बावजूद एमएलसी आशु मलिक के भाई गुफरान अहमद ने भी पर्चा दाखिल करके पूरे सियासी घटनाक्रम को नया मोड़ दे दिया हैै। कांग्रेस में भी हालात अजीबोगरीब हैं, जहां मसूद अख्तर पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी हैं तो पूर्व सांसद मंसूर अली खान के छोटे बेटे साद अली खान ने टिकट कटने से नाराज होकर निर्दलीय ही ताल ठोक दी है। सपा नेता तेग सिंह यादव के बेटे ने भी यहां निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया है, जिससे सहारनपुर देहात सीट पर चुनावी मुकाबले की तस्वीर बेहद रोचक नजर आ रही है। इसके अलावा, देवबंद में भी हालात देखने लायक हैं। यहां तमाम उतार-चढ़ाव से गुजरने के बाद आखिरकार माविया अली ने सपा से पर्चा दाखिल किया जबकि, कांग्रेस से नामांकन करने के बावजूद ऐन मौके पर मुकेश चौधरी को इस सीट से यू टर्न लेना पड़ा। वहीं, नामांकन प्रक्रिया के आखिरी दिन देवबंद सीट पर भी समीकरणों को दिलचस्प मोड़ देते हुए तरुण चावला नाम के शख्स ने न केवल कांग्रेस से चुनाव लड़ने का दावा किया बल्कि, उन्होंने पर्चा भी दाखिल कर दिया। जबकि, टिकट कटने से मायूस कांग्रेस नेता मुकेश चौधरी ने खुद को इमरान मसूद के साथ बताते हुए ‘जन लीडर‘ से बातचीत में स्पष्ट किया कि, जो आलाकमान कहेगा, वे वही करेंगे। नकुड़ सीट पर तो आखिरी दिन सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष चैधरी अब्दुल वाहिद ने निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरकर यहां से चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद की मुश्किलों में इजाफा कर दिया है। वह भी तब, जब दोनों दलों में आपसी गठबंधन का ऐलान तक हो चुका है। माना जा रहा है कि, उन्हें बहुत सोच-समझकर यहां से चुनाव लड़ाने की योजना तैयार की गई है।   
    इतना ही नहीं, जिले की अन्य सीटों पर भी सपा और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में आलाकमान के तमाम प्रयासों के बावजूद दिलों की दूरियां तो जस की तस बनी ही हैं वहीं विभिन्न मसलों को लेकर उनमें आपसी मतभेद और मनमुटाव भी कम होने का नाम नहीं ले रहा। चुनावी मुकाबले को लेकर उनके बीच चरम पर पहुंचे असमंजस का आलम यह है कि, सोशल मीडिया पर खुली बहस से लेकर अपने-अपने नेताओं के समर्थन में नारेबाजी तक दिन-रात जारी है। ऐसे हालात में अब हर किसी को 29 जनवरी का बेसब्री से इंतजार है ताकि, नाम वापसी की प्रक्रिया होने के साथ ही तमाम सीटों पर सही मायने में चुनावी मुकाबले की तस्वीर साफ होने से लेकर ‘मुखालफत‘ और ‘बगावत‘ तक के राज पर पड़ा पर्दा हट सके।   
    ------------------------
    उलझे हैं सियासी समीकरण 
    सहारनपुर। ऐसा नहीं कि, सपा और कांग्रेस के बीच एक-एक सीट पर मची इस खींचतान का अन्य दलों की सियासी रणनीति पर कोई असर नहीं पड़ा है बल्कि पूरा सच यही है कि, उन्हें भी मौजूदा हालात में अपनी-अपनी ‘व्यूह रचना‘ को लेकर नए सिरे से मंथन के लिए मजबूर होना पड़ा है। रही-सही कसर, रालोद और शिवसेना सरीखे दलों ने पूरी कर दी है, जिनके सियासी महारथियों ने अलग-अलग सीटों पर ताल ठोककर खासकर भाजपा के सामने वोट बैंक में सेंध का खतरा खड़ा कर दिया है। इनमें, शिवसेना से जहां रविंद्र अरोड़ा सहारनपुर नगर सीट पर भाजपा प्रत्याशी राजीव गुम्बर के अपने पंजाबी वोट बैंक में किसी न किसी हद तक बिखराव की स्थिति पैदा कर सकते हैं तो बेहट में अरुण कांबोज, देवबंद में भूपेश्वर त्यागी, गंगोह में रजनीश चौहान, नकुड़ में रामकुमार, सहारनपुर नगर में भूरा मलिक, रामपुर मनिहारान में दयावती चौधरी और सहारनपुर देहात पर अयूब हसन ने भी रालोद से पर्चा भरकर प्रमुख दलों की चुनौती बढ़ा दी है। 
    • Blogger Comments
    • Facebook Comments

    0 comments:

    Post a Comment

    Item Reviewed: दल तो मिल गए, दिल कौन मिलाएगा...? - Election 2017 Rating: 5 Reviewed By: Update
    Scroll to Top