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    Tuesday 31 January 2017

    गरीबों की आय बढ़ाने के फार्मूले की हो सकती हैं बजट में घोषणा - universal basic income to improve poverty in india

    नई दिल्ली: मोदी सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण 2016-17 पेश किया. सर्वे में देश के हर नागरिकों को हर महीने एक तयशुदा आमदनी सुनिश्चित करने के लिए यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम लागू करने की सिफारिश की गई है. सरकार का मानना है कि इससे गरीबी हटाने में मदद मिलेगी. नीति आयोग का जहां कहना है कि देश के पास गरीबों की आमदनी बढ़ाने की परियोजना चलाने के लिए जरूरी वित्तीय संसाधन नहीं हैं. वहीं, सरकार के वित्त वर्ष 2016-17 के आर्थिक सर्वेक्षण में गरीबी हटाने के लिए चलाई जा रही विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं की जगह पर एक सार्वभौमिक बुनियादी आय (यूनिवर्सल बेसिक इनकम) योजना चलाने की वकालत की गई है. सर्वे में कहा गया है कि इस योजना से सभी तरह की सब्सिडी को खत्म किया जा सकता है.

    देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रह्मण्यम द्वारा लिखित आर्थिक सर्वेक्षण को सरकार ने संसद के बजट सत्र के पहले दिन मंगलवार को सदन में पेश किया, जिसमें गरीबी रेखा के नीचे रहनेवाले भारतीयों को उचित बुनियादी आय मुहैया कराने की योजना चलाने पर जोर दिया गया है, जो कि एक सर्वेक्षण पर आधारित है. इसमें कहा गया है कि जिन जिलों में गरीबी अधिक है, वहां राज्य के पास उन्हें मदद देने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं हैं. सर्वेक्षण में कहा गया है कि गरीबों की प्रभावी तरीके से मदद के लिए जरूरी है कि उन्हें सीधी वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाए, जो यूबीआई के माध्यम से दी जाए.

    यूबीआई योजना जो इससे पहले किसी देश में लागू नहीं की गई है, के बारे में पहले सुब्रह्मण्यम ने कहा कि इसके तहत सरकार द्वारा गरीबी हटाने के लिए चलाई जा रही 1000 से ज्यादा योजनाओं को बंद कर सभी नागरिकों को बिना शर्त 10,000 रुपये से 15,000 रुपये नकदी दी जा सकती है.

    आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि यूबीआई के सफल बनाने के लिए दो और चीजों की जरूरत है. एक तो प्रभावी जेएएम (जन धन, आधार और मोबाइल) प्रणाली, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि नकदी का हस्तांतरण सीधे लाभार्थी के खाते में हो और दूसरा इस कार्यक्रम की लागत साझा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार में सहमति होनी चाहिए.


    इस दौरान नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढ़िया ने हाल के एक साक्षात्कार में कहा है कि भारत में गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों के लिए यूबीआई लागू करने के लिए जरूरी वित्तीय संसाधन का अभाव है.

    पनगढ़िया ने इस महीने की शुरुआत में एक अंग्रेजी डेली को दिए एक साक्षात्कार में कहा, "आय का वर्तमान स्तर और स्वास्थ्य, शिक्षा, अवसंरचना और रक्षा क्षेत्र में हमारी निवेश की जरूरत को देखते हुए हमारे पास 130 करोड़ भारतीय लोगों को उचित बुनियादी आय मुहैया कराने के लिए जरूरी वित्तीय संसाधन नहीं हैं."

    शहरी गरीबी रेखा पर तेंदुलकर समिति ने 2011-12 की कीमतों के आधार पर इसे प्रति व्यक्ति 1,000 रुपये प्रति माह रखी है. इससे कम आय वालों को गरीबी रेखा से नीचे रखा गया है.

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