बसपा सुप्रीमो मायावती को सुप्रीम से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम ने बसपा की मान्यता रद्द कर और मायावती के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका को खारिज किया. मंगलवार को मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट का आदेश सही है. राज्य में चुनाव आचार संहिता लागू है और चुनाव होने वाला है ऐसे में कोई भी कोर्ट इसमें दखल नहीं दे सकता.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती पर धर्म और जाति के आधार पर वोट मांगने पर पाबंदी लगाने के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था. याचिका में गुहार की गई है कि बसपा की मान्यता रद्द कर दी जानी चाहिए और मायवती के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.
वकील विष्णु जैन के माध्यम से नीरज शंकर सक्सेना द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका में कहा गया है कि मायावती ने गत 3 दिसंबर को एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुले तौर पर उल्लंघन किया. इस संवाददाता सम्मेलन में मायावती ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी की गई थी.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि मायावती की यह सूची धर्म और जाति के आधार पर तैयार की गई थी. साथ ही मायावती ने बसपा की एक बुकलेट जारी की थी जिसमें उन्होंने अपनी पार्टी को मुसलमान का सच्चा हितैषी बताया था. साथ ही उन्होंने मुस्लिम मतदाताओं से अपील की थी कि समाजवादी पार्टी में फूट पड़ गई है, लिहाजा वे समाजवादी पार्टी को वोट ने दें बल्कि बसपा को वोट दें. याचिकाकर्ता का कहना है कि मायावती की यह अपील सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है.
याचिकाकर्ता से इससे पहले चुनाव आयोग और इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था कि इस मसले पर चुनाव आयोग नियम के तहत इसका निपटारा करेगा, लेकिन हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग केलिए कोई समय सीमा नहीं निर्धारत की थी.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती पर धर्म और जाति के आधार पर वोट मांगने पर पाबंदी लगाने के आदेश का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था. याचिका में गुहार की गई है कि बसपा की मान्यता रद्द कर दी जानी चाहिए और मायवती के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.
वकील विष्णु जैन के माध्यम से नीरज शंकर सक्सेना द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका में कहा गया है कि मायावती ने गत 3 दिसंबर को एक संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का खुले तौर पर उल्लंघन किया. इस संवाददाता सम्मेलन में मायावती ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की सूची जारी की गई थी.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि मायावती की यह सूची धर्म और जाति के आधार पर तैयार की गई थी. साथ ही मायावती ने बसपा की एक बुकलेट जारी की थी जिसमें उन्होंने अपनी पार्टी को मुसलमान का सच्चा हितैषी बताया था. साथ ही उन्होंने मुस्लिम मतदाताओं से अपील की थी कि समाजवादी पार्टी में फूट पड़ गई है, लिहाजा वे समाजवादी पार्टी को वोट ने दें बल्कि बसपा को वोट दें. याचिकाकर्ता का कहना है कि मायावती की यह अपील सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है.
याचिकाकर्ता से इससे पहले चुनाव आयोग और इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. हाईकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था कि इस मसले पर चुनाव आयोग नियम के तहत इसका निपटारा करेगा, लेकिन हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग केलिए कोई समय सीमा नहीं निर्धारत की थी.
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