मेरठ
यूपी चुनाव में मेरठ जिले की सरधना सीट पर इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। 'कट्टर हिंदुत्व' के लिए जाने जाने वाले बीजेपी के विधायक और पार्टी प्रत्याशी संगीत सोम के लिए इस बार का चुनावी मुकाबला आसान नहीं माना जा रहा है क्योंकि सोम को चुनौती दे रहे हैं बीएसपी नेता याकूब कुरैशी के 32 साल के बेटे इमरान याकूब। युवा इमरान भले पहली बार चुनाव लड़ रहे हों, पर उनके लिए चुनाव का मैदान नया नहीं है, क्योंकि 2012 के चुनाव में अपने पिता का चुनाव प्रचार प्रबंधन उन्होंने ही किया था। उधर एसपी की ओर से अतुल प्रधान भी मुकाबले को और दिलचस्प बना रहे हैं।
'कट्टर हिंदू' की छवि रखने वाले संगीत सोम इस चुनावी लड़ाई में इमरान को हलके में बिल्कुल नहीं ले रहे हैं क्योंकि इमरान को अपने समुदाय के वोटों के अलावा बीएसपी के मजबूत वोट बैंक का भी साथ मिलने की पूरी संभावना है। 2007 के चुनाव में चंद्र वीर सिंह यहां से बीएसपी के मजबूत समर्थन की वजह से ही जीत पाए थे। सरधना में मुस्लिमों और दलितों की संख्या काफी है। ऐसे में बीएसपी इमरान के लिए मुस्लिमों और दलितों के एकजुट होने की उम्मीद कर रही है। यही वजह है कि सोम के सामने अपनी सीट बचाने की कड़ी चुनौती है।
संगीत सोम के आगे सारे सुअर बकरी बन जाते हैं संगीत जीस रास्ते से चलता है ऊस ईलाके के सुअर दुआ मांग ते हे की कहि यह दहाड़ लिया तो सबकी गीली हो जायेगी
बता दें कि 2012 के चुनाव में इमरान के पिता याकूब कुरैशी ने सरधना में 50,000 वोट हासिल किए थे। उन्हें मेरठ शहर सीट से बीएसपी ने टिकट देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने आरएलडी के टिकट पर सरधना से चुनाव लड़ा था। इस बार याकूब कुरैशी बीएसपी के टिकट पर मेरठ (दक्षिण) से चुनाव लड़ रहे हैं। अपने समर्थकों के साथ चुनाव की रणनीति पर चर्चा करने में व्यस्त कुरैशी पूरे भरोसे के साथ कहते हैं, 'मेरा बेटा राजनीतिक रूप से परिपक्व है। उसे इस लड़ाई में मेरे साथ की जरूरत नहीं। उसने अपने विधानसभा क्षेत्र के लगभग हर गांव का दौरा किया है।'
मेरठ में सोमवार की सुबह भगत सिंह मार्केट के पास स्थित अपने घर में सफेद रंग का कुर्ता और ब्लू जैकेट पहले इमरान अपने समर्थकों का स्वागत करते नजर आए। उनकी टीमें सरधना के अलग-अलग इलाकों में मौजूद हैं। इमरान ने कहा, 'मैंने सरधना के लगभग सभी इलाकों का दौरा किया है। सोम के खिलाफ लोगों में नाराजगी है। मुझे समाज के सभी वर्गों का समर्थन मिल रहा है।'
यूपी चुनाव में मेरठ जिले की सरधना सीट पर इस बार कांटे की टक्कर देखने को मिल रही है। 'कट्टर हिंदुत्व' के लिए जाने जाने वाले बीजेपी के विधायक और पार्टी प्रत्याशी संगीत सोम के लिए इस बार का चुनावी मुकाबला आसान नहीं माना जा रहा है क्योंकि सोम को चुनौती दे रहे हैं बीएसपी नेता याकूब कुरैशी के 32 साल के बेटे इमरान याकूब। युवा इमरान भले पहली बार चुनाव लड़ रहे हों, पर उनके लिए चुनाव का मैदान नया नहीं है, क्योंकि 2012 के चुनाव में अपने पिता का चुनाव प्रचार प्रबंधन उन्होंने ही किया था। उधर एसपी की ओर से अतुल प्रधान भी मुकाबले को और दिलचस्प बना रहे हैं।
'कट्टर हिंदू' की छवि रखने वाले संगीत सोम इस चुनावी लड़ाई में इमरान को हलके में बिल्कुल नहीं ले रहे हैं क्योंकि इमरान को अपने समुदाय के वोटों के अलावा बीएसपी के मजबूत वोट बैंक का भी साथ मिलने की पूरी संभावना है। 2007 के चुनाव में चंद्र वीर सिंह यहां से बीएसपी के मजबूत समर्थन की वजह से ही जीत पाए थे। सरधना में मुस्लिमों और दलितों की संख्या काफी है। ऐसे में बीएसपी इमरान के लिए मुस्लिमों और दलितों के एकजुट होने की उम्मीद कर रही है। यही वजह है कि सोम के सामने अपनी सीट बचाने की कड़ी चुनौती है।
संगीत सोम के आगे सारे सुअर बकरी बन जाते हैं संगीत जीस रास्ते से चलता है ऊस ईलाके के सुअर दुआ मांग ते हे की कहि यह दहाड़ लिया तो सबकी गीली हो जायेगी
बता दें कि 2012 के चुनाव में इमरान के पिता याकूब कुरैशी ने सरधना में 50,000 वोट हासिल किए थे। उन्हें मेरठ शहर सीट से बीएसपी ने टिकट देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने आरएलडी के टिकट पर सरधना से चुनाव लड़ा था। इस बार याकूब कुरैशी बीएसपी के टिकट पर मेरठ (दक्षिण) से चुनाव लड़ रहे हैं। अपने समर्थकों के साथ चुनाव की रणनीति पर चर्चा करने में व्यस्त कुरैशी पूरे भरोसे के साथ कहते हैं, 'मेरा बेटा राजनीतिक रूप से परिपक्व है। उसे इस लड़ाई में मेरे साथ की जरूरत नहीं। उसने अपने विधानसभा क्षेत्र के लगभग हर गांव का दौरा किया है।'
मेरठ में सोमवार की सुबह भगत सिंह मार्केट के पास स्थित अपने घर में सफेद रंग का कुर्ता और ब्लू जैकेट पहले इमरान अपने समर्थकों का स्वागत करते नजर आए। उनकी टीमें सरधना के अलग-अलग इलाकों में मौजूद हैं। इमरान ने कहा, 'मैंने सरधना के लगभग सभी इलाकों का दौरा किया है। सोम के खिलाफ लोगों में नाराजगी है। मुझे समाज के सभी वर्गों का समर्थन मिल रहा है।'
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