कांग्रेस को यह उम्मीद है कि उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले समाजवादी पार्टी से उसका गंठबंधन हो जायेगा. कांग्रेस ने सपा से इस मुद्दे पर अब भी बातचीत जारी रखी है और उसे उम्मीद है कि जल्द ही सकारात्मक नजीते सामने आयेंगे. कांग्रेस की उत्तरप्रदेश में मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार शीला दीक्षित ने सपा से गंठबंधन की संभावनाओं दोहराया है. उन्होंने कहा, 'एसपी से गठबंधन की तैयारी चल रही है. समाजवादी और कांग्रेस के एक होने से फायदा होगा, लेकिन अभी गठबंधन फाइनल नहीं हुआ है.'
गौरतलब है कि सपा और कांग्रेस के चुनावी गंठबंधन की संभावनाओं पर दोनों ओर से लंबे समय से प्रयास जारी है. हालांकि मुलायम सिंह यादव ने पिछले सप्ताह कांग्रेस-सपा गंठबंधन की संभावनाओं को नकार दिया था, लेकिन अखिलेश यादव का खेमा इसके पक्ष में है और अनुकूल माहौल बनाने में लगा है. सपा में चल रही आंतरिक खींच-तान के कारण अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस फैसला नहीं हो सका है. अनुमान है कि अब, जबकि चुनाव की तारीख की घोषणा हो चुकी है, दोनों ओर से इस संभावना को अंतिम रूप दिया जा सकता है.
यह भी गौरतलब है कि 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, आरएलडी और एनसीपी को 2007 के मुकाबले 5 सीटों का फायदा हुआ था. उन्हें 38 सीटें मिली थीं. पिछले विधानसभा चुनाव में केवल दो ही बड़ी पार्टियों को 2007 के चुनाव के मुकाबले सीटों की बढ़त मिली थी. एक सपा को और दूसरी कांग्रेस को. सबसे ज्यादा नुकसान बसपा को हुआ था. भाजपा को भी चार सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट-प्रतिशत में जबरदस्त बढ़त मिली थी. सपा और बसपा दोनों के वोटों में बड़ी गिरावट दर्ज की गयी थी.
कुछ ऐसा था पिछले विधानसभा चुनाव में वोट प्रतिशत
2012 के विधानसभा चुनाव में सपा को 29.13 प्रतिशत, बसपा को 25.91 प्रतिशत और भाजपा को महज 17 प्रतिशत वोट मिले थे. 2007 में भी भाजपा को इतने ही मत हासिल हुए थे, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गजब की छलांग लगायी थी और 42.1 प्रतिशत वोट हासिल कर बाकी दोनों पार्टिंयों को सकते में डाल दिया था. सपा 22.6 प्रतिशत वोट पर उतर आयी थी और बसपा 19.5 प्रतिशत वोटों पर ठहर गयी थी.
गौरतलब है कि सपा और कांग्रेस के चुनावी गंठबंधन की संभावनाओं पर दोनों ओर से लंबे समय से प्रयास जारी है. हालांकि मुलायम सिंह यादव ने पिछले सप्ताह कांग्रेस-सपा गंठबंधन की संभावनाओं को नकार दिया था, लेकिन अखिलेश यादव का खेमा इसके पक्ष में है और अनुकूल माहौल बनाने में लगा है. सपा में चल रही आंतरिक खींच-तान के कारण अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस फैसला नहीं हो सका है. अनुमान है कि अब, जबकि चुनाव की तारीख की घोषणा हो चुकी है, दोनों ओर से इस संभावना को अंतिम रूप दिया जा सकता है.
यह भी गौरतलब है कि 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, आरएलडी और एनसीपी को 2007 के मुकाबले 5 सीटों का फायदा हुआ था. उन्हें 38 सीटें मिली थीं. पिछले विधानसभा चुनाव में केवल दो ही बड़ी पार्टियों को 2007 के चुनाव के मुकाबले सीटों की बढ़त मिली थी. एक सपा को और दूसरी कांग्रेस को. सबसे ज्यादा नुकसान बसपा को हुआ था. भाजपा को भी चार सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट-प्रतिशत में जबरदस्त बढ़त मिली थी. सपा और बसपा दोनों के वोटों में बड़ी गिरावट दर्ज की गयी थी.
कुछ ऐसा था पिछले विधानसभा चुनाव में वोट प्रतिशत
2012 के विधानसभा चुनाव में सपा को 29.13 प्रतिशत, बसपा को 25.91 प्रतिशत और भाजपा को महज 17 प्रतिशत वोट मिले थे. 2007 में भी भाजपा को इतने ही मत हासिल हुए थे, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने गजब की छलांग लगायी थी और 42.1 प्रतिशत वोट हासिल कर बाकी दोनों पार्टिंयों को सकते में डाल दिया था. सपा 22.6 प्रतिशत वोट पर उतर आयी थी और बसपा 19.5 प्रतिशत वोटों पर ठहर गयी थी.
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