- -- बेहट में बगावत के बाद अब बड़े बिखराव की आशंका
- -- नाकाम सिद्ध हुए रूठे राणा को मनाने के तमाम प्रयास
- -- पार्टी प्रत्याशी महावीर राणा भी मिलने पहुंचे थे राणा से
- -- प्रेस वार्ता में बोले आदित्य-अब फैसला जनता के हाथ
जन लीडर न्यूज़
सहारनपुर। टिकट कटने से बेहद खफा भाजपा के कद्दावर नेता आदित्य राणा ने आखिरकार पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे ही दिया। इसी के साथ बेहट क्षेत्र में उनकी बगावत के नतीजे में अब भाजपा में बड़े बिखराव के आसार स्पष्ट नजर आ रहे हैं। वहीं, ऐसे संकट भरे हालात में भाजपा के घोषित प्रत्याशी महावीर राणा से लेकर पार्टी के दो राष्ट्रीय महासचिव तक के स्तर से बुरी तरह रूठे राणा को मनाने की खातिर भरसक प्रयास किए गए लेकिन, राणा ने दो टूक कहा कि-अब फैसला उनके समर्थकों और जनता के हाथ है और उन्हीं की अदालत में तय होगा कि, उनकी भाव सियासी राह क्या होगी ?
टिकट वितरण को लेकर बड़े पैमाने पर असंतोष की चुनौती से जूझ रही भाजपा के लिए बेहट क्षेत्र से बेहद चिंताजनक खबर सामने आई है। यहां बीते रोज ही टिकट कटने से नाराज पार्टी के कद्दावर नेताओं में शुमार और टिकट के प्रबल दावेदार आदित्य प्रताप राणा ने स्पष्ट कर दिया था कि, उन्हें यह फैसला कतई मंजूर नहीं। वे लंबे वक्त से यहां चुनाव मैदान में उतरने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे लेकिन, जिस तरह उनकी और तमाम समर्थकों की भावनाओं को सिरे से नजरअंदाज करते हुए पार्टी आलाकमान ने उनके बजाए एक अन्य दल से आए नेता को बेहट क्षेत्र से टिकट थमा दिया, वह पूरी तरह नाकाबिल ए बर्दाश्त घटनाक्रम है। इसी के साथ बेहट क्षेत्र में सर्द मौसम के बावजूद सियासी पारा एकाएक चढ़ गया। वहीं, इसी क्रम में गुरुवार को, आदित्य राणा ने अपने आवास पर संवाददाताओं से वार्ता में स्पष्ट कर दिया कि, अब वे भाजपा से पूरी तरह नाता तोड़ चुके हैं। इस बाबत, उन्होंने पार्टी के जिलाध्यक्ष विजेंद्र कश्यप को भेजे गए अपने त्यागपत्र की प्रतिलिपियां भी मीडियाकर्मियों को जारी कीं, जिसमें कहा गया है कि, वे अपनी प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे रहे हैं।
राणा ने बताया कि, जब से उन्होंने अपने तेवर पार्टी फोरम से लेकर जनता के बीच खुलकर जाहिर किए हैं, तभी से उन्हें मनाने के लिए तमाम किस्म के प्रयास किए जा रहे हैं। अन्य दलों से भी संपर्क किया जा रहा है जबकि, भाजपा के दो राष्ट्रीय महासचिव ने उन्हें फोन करके इस्तीफा न देने को कहा। इसके अलावा, बेहट क्षेत्र के पार्टी प्रत्याशी महावीर राणा भी उनसे मिलने आए थे लेकिन, वे किसी भी सूरत में अपना कदम पीछे वापस लेने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि, अब वे अपने समर्थकों और क्षेत्रीय जनता की राय के अनुरूप ही अपने भावी कदम के बारे में कुछ तय करेंगे। इधर, राणा की ओर से भाजपा को अलविदा कहने के साथ ही बेहट क्षेत्र में सियासी सरगर्मी चरम पर पहुंच गई है। पार्टी में जहां राणा को टिकट न मिलने से नाराज उनके समर्थकों द्वारा बड़े पैमाने पर इस्तीफा देने के स्पष्ट आसार हैं वहीं क्षत्रिय वोट में बिखराव की भी पूरी आशंका बनी है। इतना ही नहीं, इस पूरे घटनाक्रम के चलते जिले की अन्य सीटों पर भी भाजपा की चुनावी मुहिम को तगड़ा झटका लगने के आसार अब पूरी तरह खुलकर नजर आने लगे हैं।
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कठिन हुई भाजपा की चुनावी राह
सहारनपुर। जिले में भाजपा का चुनाव अभियान अपने शुरुआती दौर में ही एक के बाद एक बेहद तेज झटकों का शिकार हो रहा है। बेहट, रामपुर मनिहारान, गंगोह और सहारनपुर शहर के साथ अब देवबंद में भी पार्टी के गलियारों में जबरदस्त घमासान होने के स्पष्ट संकेत हैं। यहां एक तरफ जहां टिकट न मिलने से नाराज असंतुष्ट पार्टी नेता कभी भी खुलकर बगावत की राह पर कदम रख सकते हैं वहीं पूर्व विधायक शशिबाला पुंडीर के नाम से तो सोशल मीडिया पर एक पत्र रूपी इबारत भी जारी कर दी गई, जिसे लेकर दिन भर दिलचस्प चर्चाओं का दौर चलता रहा। इस संदेश में पुंडीर के हवाले से कहा गया है कि, वे आलाकमान से टिकट मांगने गईं तो उन्हें बुढ़िया कहकर बैरंग लौटा दिया गया। वे इससे खुद को बेहद आहत महसूस कर रही हैं। हालांकि, पार्टी और वरिष्ठ भाजपा नेता राजनाथ सिंह में उनकी ओर से आस्था जताई गई है लेकिन, जिस तरह इस पत्र की इबारत के बहाने एक वरिष्ठ पार्टी नेत्री के दिल का दर्द सार्वजनिक हुआ है, उसे लेकर पूरी भाजपा के सामने संकट का पूरा पहाड़ खड़ा नजर आ रहा है। माना जा रहा है कि, नामांकन प्रक्रिया शु़रू होने के साथ ही पार्टी को अन्य स्तरों पर भी तमाम किस्म की मुश्किलों से जूझना पड़ सकता है।
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