- -- पहले इम्तिहान में ही पार्टी प्रत्याशी नजर आईं अपरिपक्व
- -- विकास के मुद्दे पर औवेसी को छोड़कर सब रहे खामोश
- -- भटकाव से जूझते रहे तमाम वक्ता, एक ही ‘राग‘ अलापा
मौ. फारुख
सहारनपुर। औवेसी की आमद से कुछ पहले पूर्व पार्टी प्रत्याशी तलत खान मंच पर आईं लेकिन, उनका संबोधन किसी सियासी भाषण के बजाय बेहद ‘अपरिपक्व‘ वक्तव्य सरीखा अधिक नजर आया। खुद को बमुश्किल संभालती तलत एक बार तो इस कदर भटकीं कि, यह तक कह बैठीं कि, जनता ने साथ दिया तो वे उनकी आवाज ‘पर्लियामेंट‘ में उठाएंगी तो मीडियाकर्मियों के रूबरू होते समय वे मीडिया को ही ‘प्रेस वार्ता‘ बुलाने की चुनौती पेश कर बैठीं। उनके इस कथन पर मीडियाकर्मियों के चेहरे पर बरबस ही मुस्कराहट फैल गई। इसी तरह, पार्टी के अन्य ‘भाषणवीर‘ भी मंच पर तकरीबन साढ़े चार घंटे तक कुल मिलाकर एक ही रटा-रटाया सा ‘राग‘ अलापते रहे। इन तमाम वक्ताओं में कोई भी न तो ‘विकास‘ के एजेंडे पर कुछ भी गंभीरतापूर्वक बोला और न ही किसी ने कुछ ऐसा कहा, जिसे बहुत ‘वजनी‘ करार दिया जा सके। आयोजकों के ‘होमवर्क‘ की कलई बार-बार खुलती रही। यहां तक कि, मंच से पार्टी के मंडल प्रभारी ने तो जनता से 15 फरवरी के बजाय 11 फरवरी को मतदान की अपील ही कर दी। जब इन जनाब ने बार-बार यह अपील की तो जनता ने शोर मचाकर इस बाबत मंडल प्रभारी को बताया। तब जाकर मंडल प्रभारी ने सभा में पहुंचे लोगों से सार्वजनिक रूप से माफी मांगते हुए 15 फरवरी को मतदान की अपील की। इसी तरह, मंच से एक समर्थक ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को देश का सबसे बड़ा नेता बता दिया जबकि, ओवैसी के आने से पहले मंच से समर्थकों ने आतंकवाद के खिलाफ नारे भी लगाए। मंच से एक उत्साही समर्थक ने यहां तक कह दिया कि ओवैसी से भारत की संसद भी घबराती है तो एक अन्य समर्थक ने ओवैसी को अपने शेर में ‘सपेरा‘ ही बता दिया। दरअसल समर्थक ने साध्वी, योगी और अन्य हिन्दू नेताओं को सांप बताते हुए कहा कि इन सभी सांपों को नचाने के लिए एक ही सपेरा काफी है।
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