- -- भाजपा के मजबूत ‘गढ़‘ में गिनी जाती है शहर सीट
- -- इस चुनाव में बसपा भी लगाएगी एड़ी-चोटी का जोर
- -- यहां आखिरी वक्त में होता रहा है वोटों का धु्रवीकरण
पवन शर्मा
सहारनपुर। यूपी चुनाव के ‘दंगल‘ में तमाम दल मजबूती के साथ ताल ठोक रहे हैं। सूबे के सीमांत जिले सहारनपुर की शहर सीट पर भी नजारा अलग नहीं है। अलबत्ता, यहां अभी चुनाव प्रचार की मुहिम कुछ धीमी है लेकिन, सहारनपुर का ‘सुल्तान‘ बनने को बेकरार सियासी महारथियों में जनता के मन की थाह लेने के लिए अलग ही बेचैनी झलक रही है। जबकि, हमेशा की तरह इस बार भी सहारनपुर के मतदाताओं की खामोशी बरकरार है। नतीजतन, राजनीतिक गलियारों में इन तमाम पहलुओं को लेकर ‘गुणा-भाग‘ जारी है ताकि, वेस्ट यूपी की इस महत्वपूर्ण सीट पर बखूबी जीत का परचम लहराया जा सके।
2012 का विधानसभा चुनाव हो या 2014 में हुआ लोकसभा चुनाव, दोनों दफा भाजपा ने सहारनपुर नगर सीट पर कब्जा जमाया। विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस सीट पर जहां 85170 वोट हासिल हुए थे वहीं, लोकसभा चुनाव में वोटिंग ग्राफ बढ़ाते हुए पार्टी प्रत्याशी राघव लखनपाल शर्मा 133577 वोट पाने में सफल रहे। प्रदर्शन के लिहाज से अन्य दलों में दोनों बार उतार-चढ़ाव की स्थिति दिखाई दी। मसलन, 2012 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जहां तमाम कयासों को धता बताकर सबको चैंकाते हुए दूसरे स्थान पर रहकर 72544 वोट हासिल किए वहीं दो वर्ष बाद हुए लोकसभा चुनाव में सहारनपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद ने 109793 वोट हासिल करके परिणाम तालिका में पार्टी को दूसरा स्थान दिलाया। बसपा की बात करें तो, 2012 विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी ने 36140 वोट के बूते तीसरा स्थान हासिल किया जबकि, लोकसभा चुनाव में बसपा का ग्राफ नीचे गिर गया और पार्टी प्रत्याशी जगदीश राणा सहारनपुर विधानसभा क्षेत्र में बमुश्किल 15077 वोट ही ले सके। सपा का प्रदर्शन दोनों मौकों पर खास नहीं रहा। 2012 विधानसभा चुनाव में पार्टी को सहारनपुर नगर सीट पर जहां 19755 वोट मिले वहीं, लोकसभा चुनाव में सहारनपुर नगर क्षेत्र में सपा का आंकड़ा महज चार अंकों में सिमट गया और उसे यहां केवल 6718 वोट मिले।
जाहिर है कि, वेस्ट यूपी की महत्वपूर्ण सीटों में शुमार सहारनपुर नगर विधानसभा में चुनाव नतीजों की इसी उतार-चढ़ाव भरी स्थिति ने उन तमाम सियासी महारथियों की बेचैनी अभी से चरम पर पहुंचा दी है, जो आम मतदाताओं के मन की थाह तक नहीं ले पा रहे। हालांकि, रस्मी तौर पर उनकी निगाह धार्मिक-जातिगत समीकरणों पर जरूर टिकी है। आंकड़े कहते हैं कि, शहर सीट पर मुस्लिम मतदाता महत्वपूर्ण भूमिका में हैं। उनकी संख्या करीब सवा लाख है तो अन्य वर्गों में पंजाबी व वैश्य समाज के वोट भी जीत-हार में निर्णायक साबित होते रहे हैं। यहां लगभग एक लाख पंजाबी मतदाता हैं जबकि वैश्य समाज के कुल मत लगभग 50-60 हजार हैं। सवर्ण वर्ग में ब्राह्मण समाज के वोट लगभग 15 हजार हैं तो गुर्जर-राजपूत समाज के कुल वोट लगभग 25 हजार हैं। 25 हजार दलित वोटर हैं जबकि, सैनी समाज सहित कुछ अन्य वर्गों की गिनती भी अच्छे वोट बैंक में होती है। इस नजरिए से परखें तो चुनाव में यहां अलग-अलग वर्गों पर दावेदारी में तमाम प्रत्याशी कभी कोई कोर-कसर नहीं रख छोड़ते लेकिन, कड़वी हकीकत यही है कि ऐसी हर सियासी परीक्षा में अंतिम मौके पर पूरा चुनावी घमासान सीधे तौर पर ‘धु्रवीकरण‘ के अंजाम पर ही पहुंचता रहा है। लिहाजा, यही कहानी इस बार भी दोहराए जाने के पुख्ता आसार हैं।
यही कारण है कि, इस स्थिति के मद्देनजर शहर में एक बार फिर तमाम प्रमुख दलों का फोकस जातिगत और धार्मिक समीकरणों पर है ताकि, इन्हें अपने पक्ष में मोड़कर समय रहते मनचाहा लक्ष्य साधा जा सके। बात भाजपा की करें तो उसका प्रत्याशी इस बार भी परंपरागत रूप से हिंदू मतदाताओं में अधिसंख्य पंजाबी समाज से होना तय है तो मुकेश दीक्षित को प्रत्याशी घोषित कर चुकी बसपा ने दलित-ब्राहमण सहित मुस्लिम मतदाताओं को जोड़कर सहारनपुर सीट पर कब्जा जमाने की रणनीति बनाई है। सपा ने फिर संजय गर्ग पर दांव खेलकर परंपरागत मुस्लिम वोट बैंक के साथ वैश्य मतदाताओं को पाले में खींचने की योजना बनाई है जबकि, कांग्रेस हवा का रुख भांप रही है। चर्चा सरगर्म है कि, भाजपा प्रत्याशी के वोट काटने की गरज से कांग्रेस यहां पंजाबी उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार सकती है। इसी सूरत-ए-हाल के बीच अब हर किसी को सहारनपुर नगर सीट पर चुनावी मुकाबले की तस्वीर साफ होने का बेसब्री से इंतजार है ताकि, यहां का भावी ‘सुल्तान‘ चुनने की राह पर आम मतदाताओं का सफर आगे बढ़ सके।
-------------
उपचुनाव में गुम्बर के सिर सजा था ताज
सहारनपुर। 2014 में हुए विधानसभा के उपचुनाव परिणाम के तहत, भाजपा ने जहां सहारनपुर में महज दो साल की अवधि में लगातार तीसरी जीत दर्ज करके शानदार ‘हैट्रिक‘ लगाई। वहीं, बीते दो चुनाव में लगातार दोनों ही बार दूसरा स्थान हासिल करने वाली कांग्रेस इस उपचुनाव में तीसरे नंबर पर सिमट गई। तब भाजपा से राजीव गुम्बर ने सहारनपुर के ‘सुल्तान‘ बनने का रुतबा हासिल किया तो दूसरे स्थान पर रहे सपा प्रत्याशी संजय गर्ग से उनकी जीत का अंतर करीब 26667 वोट का था। कांग्रेस के मुकेश चैधरी उपचुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे जबकि, बसपा ने उपचुनाव लड़ा ही नहीं।
0 comments:
Post a Comment