पटना । पाकिस्तानी खुफिाया एजेंसी 'आइएसअाइ' नेपाल को बेस बनाकर बिहार के रास्ते भारत में ट्रेनों को उड़ाने की साजिश रच रहा है। ऐसे दो मामलों का खुलासा हो चुका है। बीते दिनों कानपुर के रूरा के पास अजमेर-सियालदह एक्प्रेस दुर्घटना में आइएसआइ की संलिप्तता थी। आइएसअाइ ने बिहार के घाड़ासहन में भी ट्रेन को उउ़ाने की साजिश रची थी, जो नाकाम रही। यह सनसनीखेज खुलासा बिहार पुलिस ने किया है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुए रेल हादसे व पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन स्टेशन के पास इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आइईडी) लगाने की साजिश के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ थी। बीते दिन मोतिहारी पुलिस के हत्थे चढ़े तीन शातिर अपराधियों ने यह स्वीकर किया।
गिरफ्तार अपराधियों में शामिल मोती पासवान ने बताया कि कानपुर में 21 नवंबर 2016 को हुए रेल हादसे की साजिश आइएसआइ ने रची थी। उसे अंजाम देने में वह भी शामिल था। उसके साथ कानपुर में कई अन्य लोग भी थे। उनमें से दो जुबैर व जियायुल दिल्ली में पकड़े जा चुके हैं। पूर्वी चंपारण के एसपी जितेन्द्र राणा के समक्ष उसने दोनों की तस्वीर देखकर पहचान की।
मोती ने बताया कि कानपुर से पहले पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन स्टेशन के पास रेल ट्रैक व चलती ट्रेन को उड़ाने की साजिश भी आइएसआइ ने रची थी। इसके लिए नेपाल में गिरफ्तार ब्रजकिशोर गिरी ने आदापुर निवासी अरुण व दीपक राम को तीन लाख रुपये दिए थे।
मोती के अनुसार अरुण व दीपक राम ने आइईडी लगाने के बाद भी रिमोट का बटन नहीं दबाया। इस कारण विस्फोट नहीं हो सका और विध्वंसात्मक कार्रवाई की साजिश नाकाम हो गई थी। मोती ने साफ किया कि घटना को अंजाम नहीं देने के कारण नेपाल बुलाकर ब्रजकिशोर ने अरुण व दीपक की हत्या कर शव को फेंक दिया था।
पूर्वी चंपारण के एसपी जितेंद्र राणा ने पकड़े गए मोती पासवान, उमाशंकर प्रसाद व मुकेश यादव के बारे में बताया कि उनके आइएसआइ से लिंक के प्रमाण मिले हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो की टीम सभी से पूछताछ कर चुकी है। रॉ व एनआइए को इस आशय की सूचना भेजी गई है।
एसपी ने बताया कि इस सिलसिले में तीन लोग नेपाल में भी गिरफ्तार किए गए हैं। उनमें नेपाल के कलेया निवासी ब्रजकिशोर गिरी, शंभू उर्फ लड्डू और मोजाहिर अंसारी शामिल हैं। नेपाल पुलिस से जो जानकारी आई है, उसमें बताया गया है कि आइएसआइ ने बिहार में विध्वंसात्मक कार्रवाई का जिम्मा ब्रजकिशोर गिरी को दे रखा था और उसे इसके लिए 30 लाख रुपये भी दिए गए थे।
विदित हो कि कानपुर के रूरा के पास सियालदह-अजमेर एक्स (12987) के 15 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। यह ट्रेन सियालदाह से अजमेर जा रही थी। इसके पहले कानपुर के पास पुखरायां में बड़ा रेल हादसा हो चुका था।
इसके बाद जब फर्रुखाबाद-कानपुर-अनवरगंज रेलवे सेक्शन के बीच एक जनवरी की रात में रेल पटरी काटकर फिश प्लेट उखाड़ने की घटना सामने आई तो पहले की दोनों दुर्घटनाएं संदेह के घेरे में आ गईं। फिर, घोड़ासहन कांड के आरोपियों ने पूछताछ में कानपुर दुर्घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली।
उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुए रेल हादसे व पूर्वी चंपारण के घोड़ासहन स्टेशन के पास इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आइईडी) लगाने की साजिश के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ थी। बीते दिन मोतिहारी पुलिस के हत्थे चढ़े तीन शातिर अपराधियों ने यह स्वीकर किया।
गिरफ्तार अपराधियों में शामिल मोती पासवान ने बताया कि कानपुर में 21 नवंबर 2016 को हुए रेल हादसे की साजिश आइएसआइ ने रची थी। उसे अंजाम देने में वह भी शामिल था। उसके साथ कानपुर में कई अन्य लोग भी थे। उनमें से दो जुबैर व जियायुल दिल्ली में पकड़े जा चुके हैं। पूर्वी चंपारण के एसपी जितेन्द्र राणा के समक्ष उसने दोनों की तस्वीर देखकर पहचान की।
मोती ने बताया कि कानपुर से पहले पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन स्टेशन के पास रेल ट्रैक व चलती ट्रेन को उड़ाने की साजिश भी आइएसआइ ने रची थी। इसके लिए नेपाल में गिरफ्तार ब्रजकिशोर गिरी ने आदापुर निवासी अरुण व दीपक राम को तीन लाख रुपये दिए थे।
मोती के अनुसार अरुण व दीपक राम ने आइईडी लगाने के बाद भी रिमोट का बटन नहीं दबाया। इस कारण विस्फोट नहीं हो सका और विध्वंसात्मक कार्रवाई की साजिश नाकाम हो गई थी। मोती ने साफ किया कि घटना को अंजाम नहीं देने के कारण नेपाल बुलाकर ब्रजकिशोर ने अरुण व दीपक की हत्या कर शव को फेंक दिया था।
पूर्वी चंपारण के एसपी जितेंद्र राणा ने पकड़े गए मोती पासवान, उमाशंकर प्रसाद व मुकेश यादव के बारे में बताया कि उनके आइएसआइ से लिंक के प्रमाण मिले हैं। इंटेलिजेंस ब्यूरो की टीम सभी से पूछताछ कर चुकी है। रॉ व एनआइए को इस आशय की सूचना भेजी गई है।
एसपी ने बताया कि इस सिलसिले में तीन लोग नेपाल में भी गिरफ्तार किए गए हैं। उनमें नेपाल के कलेया निवासी ब्रजकिशोर गिरी, शंभू उर्फ लड्डू और मोजाहिर अंसारी शामिल हैं। नेपाल पुलिस से जो जानकारी आई है, उसमें बताया गया है कि आइएसआइ ने बिहार में विध्वंसात्मक कार्रवाई का जिम्मा ब्रजकिशोर गिरी को दे रखा था और उसे इसके लिए 30 लाख रुपये भी दिए गए थे।
विदित हो कि कानपुर के रूरा के पास सियालदह-अजमेर एक्स (12987) के 15 डिब्बे पटरी से उतर गए थे। यह ट्रेन सियालदाह से अजमेर जा रही थी। इसके पहले कानपुर के पास पुखरायां में बड़ा रेल हादसा हो चुका था।
इसके बाद जब फर्रुखाबाद-कानपुर-अनवरगंज रेलवे सेक्शन के बीच एक जनवरी की रात में रेल पटरी काटकर फिश प्लेट उखाड़ने की घटना सामने आई तो पहले की दोनों दुर्घटनाएं संदेह के घेरे में आ गईं। फिर, घोड़ासहन कांड के आरोपियों ने पूछताछ में कानपुर दुर्घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली।
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