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    Monday 23 January 2017

    चली ‘टीपू‘ की तलवार, कौन अगला शिकार...? Saharanpur News


    -- ‘सियासी बिसात‘ पर सीएम अखिलेश के तेवर आक्रामक
    -- चुन-चुनकर शिवपाल खेमे के मोहरों को दे रहे शिकस्त
    -- सहारनपुर में शिवपाल के करीबी के भाई का पत्ता साफ
    -- अभी जारी रह सकता है ‘एनकाउंटर‘, अटकलों का दौर
    -- ‘बाहरी‘ प्रत्याशियों के खिलाफ खुलकर उठ रही आवाज 

    पवन शर्मा 
    सहारनपुर। ‘ये सियासत करते हैं-वो बगावत करते हैं, चंद लोग मगर यहां-बस शिकायत करते हैं...!‘ सूबे में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के सांगठनिक गलियारों में कुछ इसी तर्ज पर एक-दूसरे की शिकायतों का सिलसिला जोरों पर है। इससे पार्टी की चुनावी मुहिम खासी प्रभावित हो रही है। नतीजतन, संवेदनशील हालात से सतर्क सीएम अखिलेश यादव ने एक बार फिर ‘आक्रामक‘ तेवर अख्तियार करते हुए अपने ही चाचा शिवपाल यादव के खेमे का हिस्सा माने जाने वाले प्रत्याशियों के पर कतरने शुरू कर दिए हैं। सहारनपुर में उन्होंने शिवपाल के करीबी एमएलसी आशु मलिक के भाई गुफरान का टिकट काटकर तो यह सुबूत दिया ही वहीं, अब उनके अगले ‘शिकार‘ को लेकर भी तमाम कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि, विरोधी गुट के महारथियों के चुन-चुनकर ‘एनकाउंटर‘ का यह सिलसिला ‘टीपू‘ कुछ वक्त तक यूं ही जारी रख सकते हैं। 
    इन दिनों विधानसभा चुनाव की नामांकन प्रक्रिया चल रही है। चूंकि, पहले व दूसरे चरण के तहत वेस्ट यूपी की बेहद अहम सीटों पर चुनाव होना है, जहां एक किस्म से समाजवादी पार्टी और एक किस्म से पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। लिहाजा, अखिलेश किसी भी मोर्चे पर कोई ढील छोड़ने के मूड में नहीं हैं। वे इस कड़वी हकीकत से भी बखूबी वाकिफ हैं कि, पार्टी की चुनावी मुहिम में इस बार कुछ ‘अपने‘ ही रोड़ा अटका सकते हैं। खासकर, बीते दिनों यादव परिवार में चले ‘हाई वोल्टेज‘ ड्रामे के बाद पार्टी में ही पूरी तरह परस्पर विरोधी गुटों में बंट चुके अखिलेश और शिवपाल खेमों के बीच की खींचतान पर भी उनकी पैनी निगाह लगातार जमी है। यही कारण है कि, पूरे घटनाक्रम में अब बाकायदा किसी रोमांचक ‘क्लाइमेक्स‘ की तर्ज पर उन्होंने तगड़ा ‘एक्शन‘ शुरू कर दिया है। इसके लिए, वे बेहद सधे अंदाज में उन तमाम मोहरों को चुन-चुनकर सियासी बिसात से हटाते चले जा रहे हैं, जिन्हें शिवपाल खेमे का हिस्सा माना जाता है। लगातार बड़ी होती इसी फेहरिस्त में अब ताजातरीन नाम सहारनपुर देहात सीट से चंद रोज पहले ही टिकट हासिल करने वाले गुफरान मलिक का भी जुड़ गया है, जो एमएलसी आशु मलिक के भाई हैं। 
    दरअसल, हालिया दिनों में आशु मलिक के साथ अखिलेश के ताल्लुक काफी उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। हर कोई बखूबी वाकिफ है कि, आशु मलिक को मुलायम और शिवपाल के करीबियों में गिना जाता रहा है। लेकिन, यादव परिवार में घमासान के बीच निर्वाचन आयोग तक पहुंची वर्चस्व की लड़ाई में सीएम अखिलेश ने जैसे ही बाजी मारी तो बतौर पार्टी के मुखिया, उन्होंने सबसे पहले या तो दूसरे खेमे के नेताओं और पदाधिकारियों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया अथवा उन्हें दी जा रही सुख-सुविधाओं में कमी कर दी। मुरादनगर से एमएलसी आशु मलिक की वाई श्रेणी सिक्योरिटी हटाने का फैसला भी इसी कवायद का हिस्सा रहा, जिसके बाद मलिक ने सोशल साइट पर यह शेर पोस्ट करके एक किस्म से अपने दर्द का इजहार किया-‘मुहब्बत कौन करता है सियासत कौन करता है, मुझे मालूम है मेरी हिफाजत कौन करता है, हमीं ने लाज रखी है बुजुर्गों की यहां, सभी टुकड़ों पर पलते हैं बगावत कौन करता है...!‘ हालांकि, जल्द ही सपा की पारिवारिक रार जैसे ही कम हुई, मुख्यमंत्री ने मलिक पर ‘मेहरबानी‘ करते हुए उनकी सुरक्षा लौटा दी। यही नहीं, सहारनपुर देहात सीट पर आशु मलिक के भाई गुफरान को टिकट भी मिल गया। तर्क दिया गया कि, यहां गुफरान मुस्लिम वोटों और खासकर तेली बिरादरी का अच्छा समर्थन हासिल करेंगे। लेकिन, दिलचस्प पहलू यह रहा कि, इसी बिरादरी से उनकी मुखालफत में इस हद तक आवाज बुलंद हुई कि, देखते ही देखते मलिक और उनके भाई से जुड़ी तमाम शिकायतों का पूरा पुलिंदा सीधे लखनऊ पहुंच गया। नतीजा यह हुआ कि, पहले भी मलिक पर सख्ती कर चुके सीएम अखिलेश ने इस बार उनके भाई का टिकट काटकर अपने सख्त तेवर जगजाहिर कर दिए। 
    इतना ही नहीं, सोमवार को जारी 37 पार्टी प्रत्याशियों की लिस्ट में उन्होंने पूरे प्रदेश भर में शिवपाल खेमे का हिस्सा माने जाने वाले कई विधायकों तक की उम्मीदवारी पर भी अपने ही अंदाज में पानी फेर दिया। इनमें विधायक शादाब फातिमा, मंत्री विजय मिश्रा, अमित कठेरिया, मंत्री वसीम अहमद सरीखे चर्चित नाम प्रमुख हैं। यानी, संदेश कांच की मानिंद पूरी तरह स्पष्ट है कि, सीएम अखिलेश अब पूरी तरह ‘टीपू‘ की भूमिका में हैं, जिनकी ‘तलवार‘ कब और किस पर चल जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। यही कारण है कि, हर कोई मान रहा है कि, यूपी चुनाव की सियासी बिसात पर जारी ‘शह और मात‘ के खेल में दूसरे खेमे के मोहरों को बेहद करीने से किनारे लगा रहे नए सपा सुप्रीमो अखिलेश आने वाले दिनों में भी इसी तर्ज पर तमाम चौंकाने वाले कदम उठाते रहेंगे।  
    नई ‘व्यूह रचना‘ पर फोकस
    दिलचस्प पहलू यह है कि, जिस तेजी से सीएम अखिलेश दूसरे खेमे के महारथियों पर ‘तलवार‘ चला रहे हैं, उतने ही फुर्तीले अंदाज में उन्होंने नए सियासी समीकरण बिठाने भी शुरू कर दिए हैं। सहारनपुर देहात सीट पर एमएलसी आशु मलिक के भाई को ‘बैक टू पवेलियन‘ करने के साथ ही कैबिनेट मंत्री और यूपी की सियासत के कद्दावर नेता आजम खान के करीबी सरफराज खान के बेटे शाहनवाज को टिकट देकर उन्होंने इसके शुरुआती संकेत भी दे दिए हैं। लिहाजा, देखना दिलचस्प होगा कि, आगे वे किस किस्म का ‘गुणा-भाग‘ करने जा रहे हैं ?


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