* चारों खाने चित हुए कांग्रेस उपाध्यक्ष इमरान मसूद
* जिले की सातों सीटों पर सपा ने उतार दिए प्रत्याशी
* वेस्ट यूपी के लिए इमरान ने बनाया था स्पेशल प्लान
* बेहद प्रतिष्ठापूर्ण नकुड़ सीट से थी खुद की दावेदारी
* गंगोह से भाई नोमान को लड़ाने की थी पुख्ता तैयारी
* सगे भाई सलमान पहले ही कर चुके हैं खुली बगावत
पवन शर्मा
सहारनपुर। ‘टीपू‘ के नाम से मशहूर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने यूपी के सियासी ‘रणक्षेत्र‘ में ऐसी ‘तलवार‘ चलाई कि, अच्छे-अच्छे महारथी चारों खाने चित हो गए। वेस्ट यूपी में तो उन्होंने सबको दंग कर दिया, जहां सपा ने कांग्रेस की मजबूत दावेदारी वाली सीटों पर चुन-चुनकर प्रत्याशी उतारे हैं। इससे तमाम विवादित बयानों के चलते बेबाक छवि रखने वाले कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष इमरान मसूद को अपने ही ‘घर‘ यानी सहारनपुर में तगड़ा झटका लगा है। नतीजतन, समय रहते ‘रिकवरी मैनेजमेंट‘ के लिए अब इमरान समेत कांग्रेस के तमाम रणनीतिकारों को और भी कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी।
मौजूदा दौर की दिलचस्प तस्वीर पर निगाह डालें तो नजर आता है कि, वेस्ट यूपी फतह के लिए खास ‘प्लान‘ बनाने का दावा कर रहे इमरान खुद जिस बेहद प्रतिष्ठापूर्ण नकुड़ सीट से चुनाव लड़ने वाले थे, वहां सपा ने तबस्सुम हसन को टिकट थमा दिया है। इसी तरह, कांग्रेस विधायक रहे प्रदीप चैधरी की भाजपा में ‘एंट्री‘ होने के बाद गंगोह सीट पर बने ‘नाक की लड़ाई‘ सरीखे हालात में इमरान ने अपने भाई नोमान मसूद पर दांव लगाने का ऐलान किया था लेकिन वहां सपा ने इमरान के पारिवारिक प्रतिद्वंद्वी की पहचान रखने वाले चैधरी इंद्रसेन को टिकट देकर सबको चैंका दिया है। वहीं जिले की बेहट सीट पर इमरान ही नहीं बल्कि राजनीतिक विद्वान तक मान रहे थे कि, यहां इमरान के नजदीकी नरेश सैनी को सपा-कांग्रेस गठबंधन के आधार पर टिकट जरूर मिलेगा लेकिन, बेहट में भी सपा ने तमाम कयासों को धता बताकर अपने युवा एमएलसी उमर अली खान को चुनाव मैदान में उतार दिया है।
इसी तरह, इमरान के एक और करीबी कांग्रेस विधायक माविया अली भी चुनावी माहौल में पाला बदलकर सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। जबकि, सहारनपुर देहात सीट पर सपा ने चर्चित पार्टी नेता आशु मलिक के भाई गुफरान और रामपुर में पूर्व विधायक बिमला राकेश को टिकट देकर न केवल इमरान बल्कि, कांग्रेस के तमाम नेताओं के लिए विचित्र स्थिति उत्पन्न कर दी है। आलम यह है कि, इमरान तो सपा से समझौते की स्थिति में सहारनपुर शहर सीट तक से कांग्रेस प्रत्याशी को चुनाव लड़ाने केे लिए तैयार बैठे थे लेकिन, यहां भी सपा नेतृत्व ने संजय गर्ग का टिकट बरकरार रखकर उनके तमाम अरमानों पर पूरी तरह पानी फेर दिया। वैसे, वेस्ट यूपी में सहारनपुर और शामली ही नहीं बल्कि, ताजा घटनाक्रम ने अन्य सीटों पर भी कांग्रेस के समीकरण गड़बड़ा दिए हैं। मसलन, बुलंदशहर के स्याना से कांग्रेस विधायक दिलनवाज के सामने सपा ने यहां से राजकुमार लोधी को टिकट दिया है। खुर्जा से कांग्रेस विधायक बंशी पहाड़िया के समानांतर सपा ने नंदकिशोर वाल्मिीकि को उम्मीदवार बनाया है तो हापुड़ सीट कांग्रेस के गजरात सिंह ने जीती थी, जहां सपा ने तेजपाल को टिकट दिया है। मथुरा सीट से कांग्रेस के प्रदीप माथुर विधायक हैं, जहां सपा ने अशोक अग्रवाल पर दांव खेला है। रामपुर की स्वार सीट से नवाब काजिम खां विधायक हैं। यहां सपा ने आजम खान के बेटे अब्दुल्ला को टिकट दिया है। यानी, अब यह पूरी तरह साफ हो गया है कि, सपा ने अपने ही अंदाज में कांग्रेस को तगड़ा झटका देकर यूपी के सियासी सफर को बेहद दिलचस्प मोड़ पर पहुंचा दिया हैै।
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शामली में भी नहीं बची साख
सहारनपुर। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के ‘मास्टर स्ट्रोक‘ के चलते कांग्रेस की लुटिया इतनी बुरी तरह डूबी है कि, वह शामली में भी अपने सिटिंग विधायक पंकज मलिक की साख नहीं बचा सकी। शामली से पार्टी विधायक पंकज मलिक विधायक हैं, जहां सपा ने कद्दावर नेता रहे वीरेंद्र सिंह के बेटे मनीष चैहान पर दांव खेला है। हालांकि, माना जा रहा है कि, तेजी से चढ़े सियासी पारे के बीच एकाएक पैदा हुई इस अजब-गजब स्थिति के चलते मलिक और इमरान जल्द से जल्द ‘डैमेज कंट्रोल‘ में पूरी ताकत झोंक देंगे। चूंकि, इमरान मुस्लिमों और मलिक जाटों में खासे लोकप्रिय हैं, लिहाजा कांग्रेस आलाकमान भी अपने इन दोनों नेताओं की बात को तवज्जो देगा।
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नकुड़ से चुनाव लड़ेंगे सलमान
सहारनपुर। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष इमरान मसूद को तगड़ी चुनौती पेश करने के लिए उनके सगे भाई सलमान भी कमर कसकर तैयार हैं। ताजातरीन घटनाक्रम के बीच उन्होंने ‘जन लीडर‘ से बातचीत में दोहराया कि, वे हर हाल में नकुड़ सीट से चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने संकेत दिए कि, वे लोकदल के टिकट पर चुनाव मैदान में ताल ठोकने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि, उनके इस कदम से न केवल नकुड़ में सियासी समीकरण नया मोड़ लेंगे बल्कि, इसकी बदौलत यहां की चुनावी जंग और भी रोचक हो सकती है।
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भाजपा को होगा फायदा ?
सहारनपुर। सपा की ताजा लिस्ट में वेस्ट यूपी के मजबूत कांग्रेसी दावेदारों का पत्ता साफ होने के साथ ही तमाम गैर भाजपाई दलों में तगड़ा घमासान होने के पुख्ता आसार नजर आ रहे हैं। जबकि, इस पूरी स्थिति को फिलहाल भाजपा अपने हक में मानकर चल रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि, अब यहां रालोद भी सपा से अलग राह पर चुनाव लड़ेगी। रालोद के प्रभाव वालीं बागपत-बड़ौत से लेकर मेरठ, मुजफ्फरनगर, खतौली, सिवालखास, शामली, थानाभवन तक उम्मीदवार घोषित करके सपा ने साफ कर दिया है कि वेस्ट में उसके प्लान में राष्ट्रीय लोकदल से गठबंधन शामिल नहीं है। सपा ने मथुरा की मांट सीट तक नहीं छोड़ी है, जहां रालोद प्रमुख अजित सिंह के बेटे 2012 में जीते थे।
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कांग्रेस की पुख्ता तैयारीः शशि वालिया
‘‘आलाकमान ही तय करेगा कि, आगे किस रणनीति पर अमल करना है लेकिन, कांग्रेस सहारनपुर की सातों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को चुनाव लड़ाने के लिए तैयार हैं। नकुड़ से इमरान का टिकट तय है। अन्य सीटों पर भी तैयारी चाक-चैबंद है। बस, पार्टी नेतृत्व के दिशा-निर्देशों की प्रतीक्षा है।‘‘
(शशि वालिया, कांग्रेस जिलाध्यक्ष)
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मजबूती से चुनाव लड़ेगी सपाः जगपाल
‘‘समाजवादी पार्टी सभी सीटों पर पूरी मजबूती से चुनाव लड़ेगी। अखिलेश सरकार की उपलब्धियों को जनता के बीच ले जाने के साथ ही पूरी पार्टी एकजुट होकर तमाम प्रत्याशियों को जीत दिलाएगी। पार्टी नेतृत्व के दिशा-निर्देशों के अनुरूप सुनियोजित ढंग से चुनावी मुहिम आगे बढ़ाई जाएगी। ‘‘
(जगपाल दास, सपा जिलाध्यक्ष)
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