रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल और वित्त मंत्रालय से पब्लिक अकाउंट समिति ने नोटबंदी के फैसले पर कई अहम सवाल पूछे हैं. इन सवालों का जवाब देने के लिए 20 जनवरी तक का समय दिया है. वहीं सवालों के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर समिति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी तलब कर सकती है.
दरअसल संसद की यह समिति जानना चाहती है कि नोटबंदी का फैसला कब, कैसे और किसके द्वारा लिया गया था. इन सवालों के जवाब के लिए रिजर्व बैंक ने संसदीय समिति के लिए एक नोट तैयार किया है जिससे इस फैसले को लेने की पूरी परिस्थिति का खुलासा किया गया है. इंडिया टुडे के पास रिजर्व बैंक के इस नोट की प्रति मौजूद है जिसमें फैसले से संबंधित कई खुलासे किए गए हैं.
जानिए नोटबंदी पर संसदीय समिति के सवालों पर 20 जनवरी को रिजर्व बैंक क्या जवाब देने जा रही है-
1. नोटबंदी का फैसला दोनों केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक का ज्वाइंट फैसला था जिससे अर्थव्यवस्था में प्रचलित 500 और 1000 रुपये की करेंसी को बंद किया गया.
2. नोटबंदी का फैसला करने के पीछे सबसे अहम वजह देश में नकली करेंसी के संचार को पूरी तरह से बंद करने का था.
3. रिजर्व बैंक चाहता था कि 500 और 1000 रुपये की करेंसी की जगह पर 5000 और 10,000 रुपये की नई करेंसी का संचार किया जाए. इस आशय रिजर्व बैंक ने केन्द्र सरकार को अक्टूबर 2014 में सलाह दी थी.
4. 2000 रुपये की नई करेंसी के संचार को देश में महंगाई देखते हुए चुना गया. लिहाजा इस नई करेंसी से पुरानी करेंसी को बंद करना अर्थव्यवस्था में करेंसी संचार के हित में था.
5. रिजर्व बैंक ने कहा है कि 2000 रुपये की नई करेंसी आम आदमी का ध्यान आकर्षित करती लिहाजा नोटबंदी के साथ-साथ इस नई करेंसी के संचार का फैसला लिया गया.
6. रिजर्व बैंक ने बताया है कि 2000 रुपये की नई करेंसी की सीरीज छापने के लिए प्रिंटिंग प्रेस को जून 2016 में निर्देश दे दिया गया था.
7. रिजर्व बैंक ने बताया कि जून 2016 से नई करेंसी की प्रिंटिंग शुरू होने के बाद पर्याप्त मात्रा में स्टॉक तैयार हो गया था लिहाजा, 7 नवंबर, 2016 को केन्द्र सरकार ने रिजर्व बैंक को चिट्ठी लिखी जिसके बाद 8 नवंबर, 2016 को रिजर्व बैंक के सेंट्रल बोर्ड ने बैठक की और उसी दिन नोटबंदी के लिए गैजेट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया.
8. नोटंबदी के ऐलान से पहले रिजर्व बैंक को इस बात का अंदाजा था कि पुरानी करेंसी को पूरी तरह से बदलना संभव नहीं है. साथ ही बैंक के संज्ञान में था कि दिए गए समय में नई करेंसी के वैल्यू और वॉल्यूम को पुरानी करेंसी के बराबर करने के काम को नहीं किया जा सकता है.
9. रिजर्व बैंक को भरोसा था कि डिजिटल पेमेंट का विकल्प करेंसी बदलने की प्रक्रिया में सहायक होगा. इससे अर्थव्यवस्था में नई करेंसी की मांग का दबाव कम रहेगा.
10. नोटबंदी की पूरी प्रक्रिया का रिजर्व बैंक की बैलेंसशीट पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
दरअसल संसद की यह समिति जानना चाहती है कि नोटबंदी का फैसला कब, कैसे और किसके द्वारा लिया गया था. इन सवालों के जवाब के लिए रिजर्व बैंक ने संसदीय समिति के लिए एक नोट तैयार किया है जिससे इस फैसले को लेने की पूरी परिस्थिति का खुलासा किया गया है. इंडिया टुडे के पास रिजर्व बैंक के इस नोट की प्रति मौजूद है जिसमें फैसले से संबंधित कई खुलासे किए गए हैं.
जानिए नोटबंदी पर संसदीय समिति के सवालों पर 20 जनवरी को रिजर्व बैंक क्या जवाब देने जा रही है-
1. नोटबंदी का फैसला दोनों केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक का ज्वाइंट फैसला था जिससे अर्थव्यवस्था में प्रचलित 500 और 1000 रुपये की करेंसी को बंद किया गया.
2. नोटबंदी का फैसला करने के पीछे सबसे अहम वजह देश में नकली करेंसी के संचार को पूरी तरह से बंद करने का था.
3. रिजर्व बैंक चाहता था कि 500 और 1000 रुपये की करेंसी की जगह पर 5000 और 10,000 रुपये की नई करेंसी का संचार किया जाए. इस आशय रिजर्व बैंक ने केन्द्र सरकार को अक्टूबर 2014 में सलाह दी थी.
4. 2000 रुपये की नई करेंसी के संचार को देश में महंगाई देखते हुए चुना गया. लिहाजा इस नई करेंसी से पुरानी करेंसी को बंद करना अर्थव्यवस्था में करेंसी संचार के हित में था.
5. रिजर्व बैंक ने कहा है कि 2000 रुपये की नई करेंसी आम आदमी का ध्यान आकर्षित करती लिहाजा नोटबंदी के साथ-साथ इस नई करेंसी के संचार का फैसला लिया गया.
6. रिजर्व बैंक ने बताया है कि 2000 रुपये की नई करेंसी की सीरीज छापने के लिए प्रिंटिंग प्रेस को जून 2016 में निर्देश दे दिया गया था.
7. रिजर्व बैंक ने बताया कि जून 2016 से नई करेंसी की प्रिंटिंग शुरू होने के बाद पर्याप्त मात्रा में स्टॉक तैयार हो गया था लिहाजा, 7 नवंबर, 2016 को केन्द्र सरकार ने रिजर्व बैंक को चिट्ठी लिखी जिसके बाद 8 नवंबर, 2016 को रिजर्व बैंक के सेंट्रल बोर्ड ने बैठक की और उसी दिन नोटबंदी के लिए गैजेट नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया.
8. नोटंबदी के ऐलान से पहले रिजर्व बैंक को इस बात का अंदाजा था कि पुरानी करेंसी को पूरी तरह से बदलना संभव नहीं है. साथ ही बैंक के संज्ञान में था कि दिए गए समय में नई करेंसी के वैल्यू और वॉल्यूम को पुरानी करेंसी के बराबर करने के काम को नहीं किया जा सकता है.
9. रिजर्व बैंक को भरोसा था कि डिजिटल पेमेंट का विकल्प करेंसी बदलने की प्रक्रिया में सहायक होगा. इससे अर्थव्यवस्था में नई करेंसी की मांग का दबाव कम रहेगा.
10. नोटबंदी की पूरी प्रक्रिया का रिजर्व बैंक की बैलेंसशीट पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
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