* जिले की ज्यादातर सीटों पर मुश्किलों से घिरी है पार्टी
* बेहट से रामपुर और देवबंद तक विरोध का स्वर मुखर
* टिकट वितरण को लेकर गहराया असंतोष पडेगा मंहगा
* नागल में पार्टी प्रत्याशी का पुतला किया आग के हवाले
जन लीडर न्यूज़
सहारनपुर। आखिर वही हुआ, जिसका अंदेशा लगातार बना हुआ था। सूबे की सत्ता हासिल करने का ख्वाब देख रही भाजपा के लिए वेस्ट यूपी के सीमांत जिले सहारनपुर में चारों तरफ से तगड़ा झटका देने वाली खबरें सिलसिलेवार ढंग से सामने आ रही हैं। एक ओर यूपी की नंबर एक विधानसभा यानी बेहट में पार्टी नेता राणा आदित्य प्रताप ने टिकट न मिलने पर साफ शब्दों में निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया तो वहीं, रामपुर मनिहारान सीट पर टिकट के दावेदार विनोद तेजियान ने पहले ही बगावत का स्वर बुलंद कर दिया है। यही नहीं, चुनौतियों के चक्रव्यूह में बुरी तरह फंसती जा रही भाजपा को देवबंद से लेकर सहारनपुर नगर और सहारनपुर देहात सरीखी सीटों पर भी इसी किस्म की मुश्किलों से जूझना पड़ रहा है। नागल में तो टिकट वितरण से खफा कार्यकर्ताओं ने पार्टी के घोषित प्रत्याशी का पुतला तक आग के हवाले कर दिया। माना जा रहा है कि, अगले चंद रोज खुली मुखालफत का यह सिलसिला और भी मुखर होगा।
बेहट को यूपी की नंबर एक विधानसभा होने का रुतबा हासिल है और ऐसी स्थिति में भाजपा आलाकमान के लिए यह खबर वाकई तगड़ा सिरदर्द बढ़ाने वाली है कि वहां पार्टी के एक मजबूत और सक्रिय नेता ने खुलकर बगावत कर दी है। बुधवार को यही झलक नुमायां करते हुए बेहट क्षेत्र के सक्रिय व मजबूत सियासी चेहरों में शुमार और राजपरिवार के वारिस राणा आदित्य प्रताप ने विधानसभा चुनाव की प्रतिष्ठापूर्ण जंग में टिकट न मिलने से नाराज होकर निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया। इसी के साथ, पार्टी के भीतरी गलियारों में बड़े पैमाने पर चल रही उथलपुथल खुलकर सामने आ गई। माना जा रहा है कि, बेहट क्षेत्र में अब पार्टी के लिए जीत की राह न केवल बेहद मुश्किल हो गई है बल्कि, कुछ ही समय पूर्व बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल होकर चुनाव लड़ रहे महावीर राणा के लिए अब एकाएक बनी यह स्थिति बेहद असहजता पैदा करने वाली भी साबित होगी। खासकर, इसलिए भी क्योंकि, दोनों ही नेता जिस क्षत्रिय समाज की नुमाइंदगी करते हैं, उसमें मौजूदा हालात के चलते बड़े पैमाने पर असमंजस की स्थिति उभर आई है। जाहिर है कि, यदि यह वर्ग भाजपा में चल रही विरोध और अंतर्विरोध की राजनीति से खफा होता है तोे पार्टी के लिए न केवल बेहट बल्कि, पूरे जिले से लेकर वेस्ट यूपी की बाकी सीटों पर भी तमाम मुश्किलों का पहाड़ खड़ा हो जाएगा।
भाजपा के लिए चिंता की इकलौती खबर केवल बेहट से ही सामने नहीं आई है बल्कि, जिले की अन्य सीटों पर भी कमोबेश यही स्थिति नजर आ रही है। मसलन, एक तरफ जहां रामपुर मनिहारान सीट पर टिकट के मजबूत दावेदारों में शुमार और पिछली बार इस क्षेत्र में दूसरे नंबर पर रहे विनोद तेजियान अपने बजाय देवेंद्र निम को टिकट थमाए जाने पर खुलकर नाराजगी का इजहार कर चुके हैं तो वहीं देवबंद में भी बगावत के स्वर अब खुलकर सतह पर आने लगे हैं। सहारनपुर देहात सीट पर भी यही तस्वीर है, जहां देवबंद के बजाय यहां से टिकट मिलने से नाराज मनोज चैधरी अंदर ही अंदर गहरा असंतोष मन में रखे हुए हैं। इतना ही नहीं, क्षेत्र के भाजपाई भी उन्हें पूरी तरह बाहरी प्रत्याशी मानते हुए साफ तौर पर विरोध जाहिर कर रहा है, जिसके चलते बुधवार को नागल क्षेत्र में असंतुष्ट पार्टी कार्यकर्ताओं ने उनके पुतले को आग के हवाले कर दिया। इसी तरह, देवबंद क्षेत्र में करीब बीस दावेदारों के बीच में कुंवर ब्रिजेश सिंह सरीखे राजनीतिक परिदृश्य में अपेक्षाकृत कम सक्रिय चेहरे पर दांव लगाकर भी भाजपा आलाकमान ने इस क्षेत्र में विरोध की आंच और अधिक सुलगा दी है। इस बात के स्पष्ट आसार नजर आ रहे हैं कि, अब किसी भी समय इस क्षेत्र में पार्टी फोरम पर खुलकर विरोध दर्ज कराने का सिलसिला शुरू हो सकता है। इसके अलावा, सहारनपुर नगर सीट पर भी मौजूदा पार्टी प्रत्याशी राजीव गुम्बर की मुखालफत से लेकर भितरघात की दोहरी चुनौती पार्टी के रणनीतिकारों की चिंता में दिन दूना-रात चैगुना इजाफा कर रही है। यानी, सहारनपुर में नामांकन प्रक्रिया शुरू होने से ऐन पहले बनी इस स्थिति के चलते भाजपा के लिए अपने चुनावी अभियान को सिरे चढ़ाना न केवल बेहद मुश्किल साबित होगा बल्कि, ऐसे हालात में उसे अपनी पूरी व्यूह रचना को भी नए सिरे से देखना-परखना पड़ सकता है।
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